उत्तर प्रदेशब्रेकिंग न्यूज़लखीमपुर खीरी
लालपुर स्टेडियम भसडिया रोड पर कचरे के ढेर में जीवन तलाश रही गौमाता दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर !
आखिर क्या वजह कि गौवंश आज सड़कों पर मल, गंदगी व प्लास्टिक खाने को मजबूर क्यों है..?

रिपोर्ट स्टेट हेड उत्तर प्रदेश डॉक्टर संजय कुमार पांडेय मोबाइल नंबर 7376 3261 75
लखीमपुर-खीरी। शहर से जुड़े लालपुर स्टेडियम भसडिया रोड पर स्थित काशीराम कालोनी से सटी सड़कों पर पड़े कचरें के ढेरों मे गाय व नंदी महाराज कोगंदगी खाते हुए साफ देख सकते हैं।
हालांकि ये दयनीय स्थिति बेहद चिंताजनक है, सम्बंधित जिम्मेदारों व समाजसेवियों को आगे आकर पहल करनी चाहिए, गौ माता को कहने को तो हमारे देश में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। यही पवित्र गाय माता अपनी प्राणरक्षा के लिए कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक खाने को मजबूर है।
यह कैसी विडंबना है कि देवताओं को भी भोग और मोक्ष प्रदान करने की शक्ति रखने वाली गौमाता आज चारे की तलाश में कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक की थैलियों से अपना पेट भरने को मजबूर है। हमारे देश में गाय को पूजा जाता है, लेकिन यह विडंबना ही है कि आज गाय की घोर उपेक्षा की जा रही है बड़े-बड़े खादीधारी आते हैं और भाषण के साथ अपनी बात को खत्म कर जाते हैं इनके सहारे राजनीति कर रहे हैं अगर धरातल पर देखें तो ग्रामीण व शहर व कस्बा क्षेत्र में जगह-जगह लगे कचरे के ढेर पर मुंह मारती गायों के दृश्य आम हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में गायों की संख्या का घटना चिंताजनक है। आज घरों में गाय की जगह भांति-भांति नस्ल के कुत्ते के पालन पर जोर है। घर मे कुत्ते पालकर उसकी सेवा की जा रही है। उसे दिन में दो चार बार नहलाया जाता है। समय पर रोटी पानी देने सहित पूरी तरह से उसका ख्याल रखा जाता है। पर माता कही जाने वाली गाय आज कचरे के ढेर में अपना जीवन तलाश रही है। विडंबना यह है कि लोग गाय के बजाय कुत्ते पालना पसंद करते हैं। कुछ घरों में पालतू कुत्ते बिस्किट और मिठाई खाते हैं वहीं गौवंश कूड़े के ढेर में खाना ढूंढती हैं। सड़क किनारे फेंकी गई खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ प्लास्टिक खाने से कई गायों की दर्दनाक मौत भी हो रही है।
आजकल बहुत पढ़े-लिखे व संपन्न लोग अपने घर में कुत्ता पालते हैं। घर में कुत्ता पालने का चलन विदेशी संस्कृति की ही देन है। आज गाय दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। गाय की हालत बहुत अधिक दयनीय होती जा रही है। गाय पर राजनीति करने वाले नेता लोग भी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए गाय के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाकर इति श्री कर देते हैं। लेकिन वास्तविकता पर कोई ध्यान नही दिया जाता। एक समय था, जब लोग घर के द्वार पर लिखते थे- ‘गाय स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है’ अतिथि देवो भव’ शुभ लाभ ‘स्वागतम’! लेकिन अब उसकी जगह लिखा हुआ होता है, कुत्तों से सावधान’।
प्राचीनकाल से ही गाय भारतीय जीवन का एक अभिन्न अंग रही है, परंतु अफसोस आज उसी मां को अनेक दुर्दशाओं का सामना करना पड़ रहा है। गाय हिन्दू धर्म में पवित्र और पूजनीय मानी गई है। ऐसे में यह सवाल विचारणीय हो जाता है कि आखिर वजह क्या है कि गाय आज सड़कों पर मल, गंदगी व प्लास्टिक खाने को मजबूर क्यो है..? ऐसा माना जाता है कि गाय में हमारे सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इसी वजह से मात्र गाय की सेवा से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं तो इसलिए कुत्ते नहीं, गाय पालिए। भोजन से पहले गाय के लिए भोजन का कुछ हिस्सा निकालें।


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