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आधुनिक युग में योग: तनावमुक्त जीवन और संतुलित व्यक्तित्व की कला

बस्ती से वेदान्त सिंह
विश्व संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव प्रो.डॉ नवीन सिंह ने बताया कि आज के तेज़ रफ़्तार और प्रतिस्पर्धा से भरे आधुनिक युग में जहाँ तनाव, चिंता और असंतुलित जीवनशैली ने मानव को थका दिया है, वहीं योग पुनः जीवन की दिशा और संतुलन का प्रतीक बनकर उभर रहा है।
योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। यह मन, शरीर और आत्मा के सामंजस्य की वह विधा है जो व्यक्ति को समग्र स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक चेतना की ओर ले जाती है।
योग का आधुनिक महत्व:
आज का इंसान भौतिक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण होते हुए भी मानसिक रूप से अस्थिर और तनावग्रस्त है। योग इस असंतुलन को दूर करने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।
शारीरिक स्तर पर, योग आसन शरीर को लचीला, सशक्त और रोगमुक्त बनाते हैं।
मानसिक स्तर पर, ध्यान और प्राणायाम चिंता, अवसाद और अनिद्रा जैसी समस्याओं को दूर करते हैं।
आध्यात्मिक स्तर पर, योग व्यक्ति को आत्मचेतना और सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ता है।
योग: जीवन जीने की कला
योग सिखाता है कि जीवन केवल काम और सफलता की दौड़ नहीं, बल्कि संतुलन, संयम और सामंजस्य का नाम है।
योगी जीवन में हर स्थिति में समत्व बनाए रखना — यही योग का सार है।
भगवद गीता (2.48) कहती है:
> “योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय”
अर्थात् योग में स्थित होकर कर्म करो, सफलता-असफलता की चिंता त्याग दो — यही कर्मयोग है।
समापन:
आज जब पूरी दुनिया वेलनेस और माइंडफुलनेस की ओर लौट रही है, तब भारत का यह प्राचीन योग दर्शन मानवता के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। योग न केवल रोगों से मुक्ति देता है, बल्कि हमें सार्थक, शांत और संतुलित जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
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प्रो. डॉ. नवीन सिंह – राष्ट्रीय महासचिव
(योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ, विश्व संवाद परिषद, भारत)

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