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33वां सालाना उर्स: तिलवाड़ा दरगाह पर अमन और शिक्षा का पैगाम

हज़रत सुमार शाह वली की दरगाह में उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब, पीर मजहर अली साहब ने मांगी मुल्क के लिए अमन चैन और खुशहाली दुआ

ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग

 

बालोतरा: तिलवाड़ा गाँव स्थित हज़रत सुमार शाह वली की दरगाह पर 33वां सालाना उर्स पूरी शानो-शौकत और अकीदत के साथ मनाया गया। दरगाह परिसर को रंगीन रोशनी और फूलों से सजाया गया l उर्स के मौके पर अकीदतमंदों का सैलाब उमड़ पड़ा जिन्होंने दरगाह पर ज़ियारत कर चादरें पेश कीं और अमन, शांति व मन्नतें मांगीं।

🙏 सूफी संत की शिरकत और खास दुआ 🙏

उर्स में पीरे तरीकत हज़रत सैय्यद मजहर अली साहब (जोधपुर)ने शिरकत की। किबला पीर सांहब ने अपने तकरीरों से जश्ने गौसे आज़म (11वीं शरीफ) का महत्व समझाया और मुल्क में अमन और चैन की खुसूसी दुआएं कीं।

हुसैन खां ने बताया कि दरगाह कमेटी की ओर से जायरीनों के लिए लंगरं का इंतजाम किया। वहीं मेहमानों का बड़ी शानो शौकत के साथ में कमेटी ने जायरीन इस्तकबाल किया गया।

📚 *शिक्षा पर ज़ोर, विद्यार्थियों का सम्मान*🏆

उलेमाओं ने अपनी तकरीरों में समाज को दीन और दुनिया दोनों की तालीम को बढ़ावा देने का आह्वान किया। मौलाना मोहम्मद सरफराज, ने तकरीर करते हुए कहा, “गौसे आजम का मर्तबा औलिया-ए-किराम में सबसे ऊंचा है और हमें शेख अब्दुल कादिर जिलानी के बताए रास्ते पर चलकर शांति और सफलता प्राप्त करनी चाहिए।” युसुफ आजाद ने बच्चों की शिक्षा को लेकर अपने विचार व्यक्त किया,

अयूब खान सिलावट, ने कहा कि गौसे आजम का मर्तबा औलिया-ए-किराम में सबसे ऊंचा है। उन्होंने कहा कि औलिया-ए-किराम ने तौहीद और सुन्नत-ए-नबी की रौशनी से समाज को ईमान और इंसानियत की राह दिखाई।

शेख अब्दुल कादिर जिलानी के बताए रास्ते पर चलकर शांति और सफलता प्राप्त करने का आह्वान किया। इस मौके पर मदरसे में दीन और दुनिया की तालीम हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को मोमेंटो तथा प्रशस्ति पत्र से नवाजा गया।

🍽️ *लंगर और शानदार इंतज़ाम 🤝*

दरगाह कमेटी, जिसकी कमान सदर अनवर खान, कोषाध्यक्ष हुसैन खान, और सचिव हनीफ खां संभाल रहे, ने जायरीनों के लिए लंगर (भंडारे) का बेहतरीन इंतज़ाम किया। मेहमानों का इस्तकबाल बड़े ही उत्साह के साथ किया गया।

पेंटर लुकमान खां ने बताया कि महफिले मीलाद में मौलाना नाहिद अख्तर, मौलाना मोहम्मद कबूल, और मौलाना अब्दुल करीम ने नातें पेश कर महफ़िल को रूहानी बना दिया।

उर्स को सफल बनाने में कमरूदिन,याकूब खां,जसोल,रजाकखां ,बरकत खां, फते मोहम्मद,इकबाल खां,फिरोज खां,तिलवाड़ा सहित बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने सहयोग दिया।

 

Viyasmani Tripaathi

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