गौंड़ समाज के दर्जनों लोगों ने आदिवासी युवा संगठन का बने सदस्य

राम सुदीन,
ब्यूरो चीफ
सोनभद्र
सोनभद्र के ग्राम पंचायत बिल्ली मारकुंडी टोला रानी दुर्गावती नगर में जय आदिवासी युवा सामाजिक संगठन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मा. विजय सिंह गौड़ पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, विशिष्ट अतिथि- अपना दल एस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं अखिल भारतीय बियार समाज के राष्ट्रीय महासचिव माननीय दिनेश बियार जी उपस्थित रहे|
दिनेश बियार ने कहा कि बियार जाति 1951 से ही अनूसूचित जनजाति में है|
भारत का संविधान अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित नहीं करता है, इसलिए अनुच्छेद 366(25) अनुसूचित जनजातियों का संदर्भ उन समुदायों के रूप में करता है जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है।
‘अनुसूचित जनजातियाँ’ पद सबसे पहले भारत के संविधान में प्रकट हुआ। अनुच्छेद 366 (25) ने अनुसूचित जनजातियों को “ऐसी आदिवासी जाति या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासी जातियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह के रूप में, जिन्हें इस संविधान के उद्देश्यों के लिए अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजातियाँ माना गया है” परिभाषित किया है। अनुच्छेद 366 (25), जिसे नीचे उद्धृत किया गया है, अनुसूचित जनजातियों के विशिष्टिकरण के मामले में पालन की जाने वाली प्रक्रिया को निर्दिष्ट करता है।
अनुच्छेद 342
राष्ट्रपति, किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के विषय में, और जहाँ वह राज्य है, राज्यपाल से सलाह के बाद सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, आदिवासी जाति या आदिवासी समुदायों या आदिवासी जातियों या आदिवासी समुदायों के भागों या समूहों को निर्दिष्ट कर सकते हैं, जो इस संविधान के उद्देश्यों के लिए, उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश, जैसा भी मामला हो, के संबंध में अनुसूचित जनजातियाँ माने जाएंगे।
संसद कानून के द्वारा धारा (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियों की सूची में किसी भी आदिवासी जाति या आदिवासी समुदाय या किसी भी आदिवासी जाति या आदिवासी समुदाय के भाग या समूह को शामिल कर या उसमें से निकाल सकती है, लेकिन जैसा कि पहले कहा गया है, इन्हें छोड़कर, कथित धारा के अधीन जारी किसी भी सूचना को किसी भी तदनुपरांत सूचना द्वारा परिवर्तित नहीं किया जाएगा।
इस प्रकार, किसी विशेष राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियों का पहला विशिष्टिकरण संबंधित राज्य सरकारों की सलाह के बाद, राष्ट्रपति के अधिसूचित आदेश द्वारा किया जाता है। ये आदेश तदनुपरांत केवल संसद की कार्रवाई द्वारा ही संशोधित किए जा सकते हैं। उपरोक्त अनुच्छेद अनुसूचित जनजातियों का सूचीकरण अखिल भारतीय आधार पर न करके राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अनुसार करने का प्रावधान भी करता है।
विजय सिंह गोड़ ने कहा कि
किसी समुदाय के अनुसूचित जनजाति के रूप में विशिष्टिकरण के लिए पालन किए गए मापदंड हैं, आदिम लक्षणों के संकेत, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक विलगाव, बृहत्तर समुदाय से संपर्क में संकोच, और पिछड़ापन। ये मापदंड संविधान में लिखे नहीं गए हैं लेकिन भली प्रकार से स्थापित हो चुके हैं। यह 1931 की जनगणना में समाविष्ट परिभाषाओं, प्रथम पिछड़े वर्गों के आयोग 1955, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति की सूचियों (लोकुर समिति), 1965 के संशोधन पर सलाहकार समिति (कालेलकर) और अनुसूचित जातियों पर संसद की संयुक्त समिति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 1967 (चंदा समिति), 1969 की रिपोर्टों को शामिल करता है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 की धारा (1) द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति ने, संबंधित राज्य सरकारों से सलाह के बाद, अभी तक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के संबंध में अनुसूचित जनजातियों का *संविधान (अनुसूचित जनजातियाँ) (केंदशासित प्रदेश) आदेश 1951 (C.O.33) 20-9-1951* से विन्ध्य प्रदेश में
अनुसूचित जनजातियाँ हैं
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रभुनाथ खरवार, रोहित बिन्द, सम्भु गोंड रामनारायण गोंड व दर्जनों की संख्या में जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन का सदस्यता लिये और अपने मौलिकअधिकर रोजगार पेशा कानून जल जंगल जमीन के लड़ाई लड़ने के लिए संकल्पित हुए|
कार्यक्रम का संचालक नागेश्वर गोड़ ने किया|