
राजस्थान हेड डॉ राम दयाल भाटी
बीकानेर, 15 अक्टूबर, 2025। भाकृअनुप–राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के तहत आज ग्राम इशरा, तहसील पिंडवाड़ा, जिला सिरोही में पशु स्वास्थ्य शिविर, कृषक–वैज्ञानिक संवाद एवं जनजातीय महिलाओं के सम्मान में राष्ट्रीय महिला किसान दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 173 किसानों (पुरुष व महिला) ने सक्रिय भागीदारी निभाई। आयोजित पशु स्वास्थ्य शिविर में कुल 1,400 पशु जिनमें ऊँट (509), गाय (74), भैंस (319) तथा भेड़-बकरी (498) शामिल थे, का उपचार एवं टीकाकरण किया गया। शिविर के दौरान बीमार पशुओं का इलाज किया गया तथा रोगों के कारकों की पहचान हेतु पशुओं के रक्त, चींचड़ एवं खुजली के नमूने एकत्र किए गए। कृषक–वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम के दौरान पशुओं की बीमारियों व उनके पोषण एवं उत्पादन से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की गई और विशेषज्ञों द्वारा उनके वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत किए गए। पशुपालकों को पशु आहार, खनिज मिश्रण, जागरूकता संबंधित प्रचार-प्रसार पत्रिकाएं एवं दवा किट का वितरण किया गया। साथ ही सर्रा व खुजली से बचाव के टीके लगाए गए।
एनआरसीसी द्वारा जनजातीय उप-योजना के तहत इशरा एवं आसपास के क्षेत्रों के पशुपालकों को संबोधित करते हुए नोडल अधिकारी डॉ. श्याम सुंदर चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार की इस उप-योजना के अंतर्गत पशुपालन व्यवसाय को प्रोत्साहन एवं आजीविका सुधार हेतु विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। उन्होंने समन्वित कृषि पद्धति अपनाने, पशुधन उत्पादों के मूल्य संवर्धन तथा ऊँटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता को समझने की दिशा में पशुपालकों को प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं की पशुपालन में भूमिका को रेखांकित करते हुए देश की खाद्य सुरक्षा में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला तथा उन्हें पशुपालन को और बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. काशी नाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी, ने बताया कि विशेषज्ञों ने पशुपालकों को पशु स्वास्थ्य सेवाओं, उन्नत पशुपालन तकनीकों, प्रजनन संबंधी समस्याओं, पोषण और सामान्य स्वास्थ्य देखभाल पर विस्तृत जानकारी दी। राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के अवसर पर ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन एवं रोग निदान तकनीकों का प्रदर्शन व प्रशिक्षण प्रदान किया गया। साथ ही उन्हें अपने अधिकारों और अवसरों की पहचान के लिए प्रेरित किया गया।
केंद्र निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया की ओर से इस अवसर पर संदेश प्रेषित किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि कृषि एवं पशुपालन का पारस्परिक समन्वय ग्रामीण और विशेष रूप से जनजातीय आजीविका को सुदृढ़ बनाने की आधारशिला है। उन्होंने बताया कि पशुओं की स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य की वैज्ञानिक देखभाल से न केवल उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि इससे पशुपालकों की आर्थिक स्थिरता और सामाजिक उत्थान भी सुनिश्चित होता है। डॉ. पूनिया ने यह भी रेखांकित किया कि ऊँटनी के दूध जैसे बहुपयोगी उत्पादों का वैज्ञानिक उपयोग एवं मूल्य संवर्धन जनजातीय क्षेत्रों में रोज़गार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर उत्पन्न कर सकता है।
डॉ. चंद्र मुनि बडोले, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, कार्यालय संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग, सिरोही ने कहा कि नियमित टीकाकरण से पशुधन की उत्पादकता और पशुपालकों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।
श्री सेवाराम, सदस्य, पशुधन विकास समिति, सिरोही ने एनआरसीसी के जनहितकारी प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम जनजातीय समुदाय की सामाजिक व आर्थिक प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस आयोजन को सफल बनाने में श्री मनजीत सिंह (सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी), श्री आशीष पित्ती (वित्त एवं लेखाधिकारी) तथा श्री अमित (युवा पेशेवर) ने शिविर पंजीयन, दाना-आहार वितरण एवं अन्य कार्यों में सक्रिय सहयोग प्रदान किया। पशुपालन विभाग सिरोही ने भी एनआरसीसी द्वारा आयोजित गतिविधियों को सफल बनाने में सहयोग प्रदान किया।

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