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अणुव्रत अनुशासन दिवस: बच्चों ने जाना ‘निज पर शासन’ का महत्व

ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग

 

बालोतरा: विद्यालय मीडिया प्रभारी एवं एकेडमिक कोऑर्डिनेटर अयूब के. सिलावट ने बताया कि जीवन में संतुलन और खुशहाली लाने के लिए संयम और अनुशासन कितना आवश्यक है, यह संदेश शांति निकेतन स्कूल के बच्चों तक अणुव्रत अनुशासन दिवस के अवसर पर पहुँचाया गया। अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के तहत, अणुव्रत समिति के तत्वावधान में यह विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, अणुव्रत गीत के गायन से शुरू हुए इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने आत्मानुशासन को सुखी जीवन का मूल मंत्र बताया।

*आत्म-नियंत्रण ही सच्चा अनुशासन*

कार्यक्रम में साध्वीश्री श्रुत प्रभा जी और साध्वीश्री यशस्वी प्रभाजी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि, “अपने आप पर शासन करना ही अनुशासन है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुशासनहीनता जीवन को बेकार कर देती है। उन्होंने आचार्यश्री महाश्रमणजी के अणुव्रत संदेश की महत्ता बताते हुए इसे अनुशासन की प्रक्रिया बताया। साध्वीश्री ने बच्चों को महाप्राण ध्वनि का प्रयोग करवाकर ‘स्वस्थ रहे, शक्ति सम्पन्न रहे’ जैसे संकल्पों का उच्चारण करवाया। उन्होंने नशा मुक्त रहने की प्रेरणा भी दी और कहा कि “जैसा खाओगे अन्न – वैसा रहेगा मन।”

*’निज पर शासन फिर अनुशासन’ – आचार्य तुलसी*

विद्यालय सचिव ओमप्रकाश चोपड़ा ने आचार्य तुलसी के सूत्र को दोहराया: “निज पर शासन फिर अनुशासन।” उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति पहले स्वयं पर अनुशासन कर ले, तो दूसरों पर अनुशासन करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जवेरीलाल सालेचा ने कहा कि अनुशासन के बिना जीवन का विकास अवरुद्ध हो जाता है, क्योंकि यह दिमाग और शरीर को प्रशिक्षित करने में मदद करता है। प्रचार मंत्री कमलजी ने संयम को सुखी जीवन का सबसे बड़ा सूत्र बताया।

ट्रस्टी प्रकाश बालड ने प्रिय और श्रेय के बीच का अंतर समझाते हुए कहा कि हमें वही चुनना चाहिए जो हमारे लिए हितकर (श्रेयस्कर) हो, न कि सिर्फ प्रिय। उन्होंने आत्म-नियंत्रण (आत्मानुशासन) की अर्हता पर ज़ोर दिया। ऑडिटर ओमप्रकाश बाँठीया ने भी मन, शरीर, इंद्रियों और वाणी पर संयम रखने को ही सच्चा शासन बताया।

*आत्मानुशासन: मन, वाणी और इंद्रियों पर नियंत्रण*

प्राचार्या सुधा मदान ने आत्मानुशासन को विस्तार से समझाते हुए कहा कि इसका सार तत्व है- शरीर, इंद्रियों, वाणी और मन को पाप या गलत कार्यों में प्रवृत्त न होने देना। उन्होंने कहा कि इन पर नियंत्रण का अभ्यास करना ही आध्यात्मिक साधना है।

 कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर आरती गोयल द्वारा किया गया। इस दौरान अणुव्रत समिति से पुष्पा देवी और पवन जी भी उपस्थित रहे।

Viyasmani Tripaathi

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