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एंडोमेट्रिओसिस के बढ़ते मामले बन सकते हैं प्रेगनेंसी में रुकावट का कारण कैसे करें समाधान – डॉ चंचल शर्मा 

दिल्ली से राहुल कुमार की रिपोर्ट

 

आधुनिक समय में एंडोमेट्रिओसिस एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। देश भर में प्रत्येक 10 में से 1 महिला इस रोग से ग्रसित है। एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तभी संभव है तब सही समय पर उसकी पहचान की जाए। एंडोमेट्रिओसिस का कोई भी स्थाई उपचार नहीं है बल्कि डॉक्टर इसके लक्षणों की देखकर उसे कम करने की कोशिश करते हैं।

आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि सामान्यतः एंडोमेट्रिओसिस 20 से 40 वर्ष की किसी भी महिला को हो सकता है और करीब 20 फीसदी महिला इससे प्रभावित होती हैं। तेजी से बढ़ती इस बीमारी से बचने का एक ही तरीका है कि आप इसके लक्षणों पर ध्यान दें और अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से इस विषय में बात करें। लोगों को इसके प्रति जाकरूक होना चाहिए। कई बार शुरूआती दिनों में इसे पहचान पाना मुश्किल होता है और आगे चलकर यह निःसंतानता का कारण बन जाता है।

एंडोमेट्रिओसिस की वजह से क्या हो सकता है?

एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमे महिला के गर्भाशय में बनने वाले ऊतक उसके अन्य प्रजनन अंगों में विकसित होने लगता है और पीरियड्स ब्लड के साथ बाहर भी नहीं आता है। इसकी वजह से पेल्विक एरिया में दर्द होता है और पीरियड्स के दौरान यह दर्द और भी बढ़ जाता है। एंडोमेट्रिओसिस वाली महिलाओं को इंटरकोर्स के दौरान असहनीय दर्द होता है। एंडोमेट्रिओसिस की समस्या अगर लंबे समय तक बनी रहे तो निःसंतानता का रूप ले लेती है। एंडोमेट्रिओसिस की वजह से महिलाओं में डिप्रेशन, तनाव और मूड स्विंग्स जैसी समस्या हो जाती है।

भारत में एंडोमेट्रिओसिस के बढ़ते मामले

2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार एंडोमेट्रिओसिस की समस्या वैसे तो वैश्विक स्तर पर बढ़ी है लेकिन भारत में अगर इसके मामलों पर ध्यान दें तो करीब 4.2 करोड़ महिलाएं इस रोग से प्रभावित हैं। जो पहले के मुकाबले 20 फीसदी तक बढ़ गया है।

एंडोमेट्रिओसिस से बचाव के तरीके

अगर आप एंडोमेट्रिओसिस जैसी भयानक बीमारी से बचना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि यह बीमारी हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है या कई बार अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है। एलोपैथी में इसके लिए सर्जरी की सलाह दी जाती है जो बहुत दर्दनाक प्रक्रिया हो सकती है इसलिए आप आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा करें। आयुर्वेदिक उपचार के तहत पंचकर्म थेरेपी, डाइट, योग आदि की मदद से आपके शरीर में मौजूद तीनों दोषों को संतुलित किया जाता है। आपको नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए। समय समय पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करते रहें और अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें। एंडोमेट्रिओसिस के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज करना आपके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

 

Viyasmani Tripathi

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