देशबीकानेरब्रेकिंग न्यूज़राजस्थानव्यापार
एन.आर.सी.सी. द्वारा विश्व दुग्ध दिवस के उपलक्ष्य पर कार्यशाला आयोजित

बीकानेर से डॉ राम दयाल भाटी
बीकानेर 30.05.2025 । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एन.आर.सी.सी.) द्वारा विश्व दुग्ध दिवस के उपलक्ष्य पर आज दिनांक को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वचुर्अल रूप से जुड़ते हुए अतिथि वक्ता श्री कुलदीप शर्मा, संस्थापक एवं सी.टी.ओ., सुरुचि कंसल्टेंट्स, नोयड़ा, नई दिल्ली ने ‘ऊँटनी के दूध पर अनुसंधान हेतु उद्देश्यों का निर्धारण’ विषयक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत का कुल दूध उत्पादन 239.3 मिलियन मैट्रिक टन है। इसे दृष्टिगत रखते हुए गैर-गौवंशीय दूध को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इस दिशा में ऊँटनी के दूध को डेयरी व्यवसाय के रूप में अपनाए जाने की आवश्यकता है, इस हेतु दूध संग्रहण, प्रसंस्करण, प्रचुर मात्रा में उत्पादन, सप्लाई चेन विकसित करना, दूध से निर्मित स्वास्थ्यप्रद तथा कॉस्मेटिक जैसे नवाचारी उत्पादों का विपणन आदि पहलुओं पर अपेक्षित ध्यान देना होगा। अतिथि वक्ता ने कहा कि ऊँटनी के दूध के औषधीय महत्व को देखते हुए भारत में इस दूध के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु और अधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, जब उपभोक्ता बढ़ेंगे तो बाजार में इसके दूध की स्वत: मांग बढ़ेगी जिससे ऊँट पालकों की समाजार्थिक स्थिति में भी महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है।
कार्यशाला कार्यक्रम के संयोजक एवं केन्द्र निदेशक डॉ.अनिल कुमार पूनिया ने “गैर-गौवंशीय दूध का महत्व” विषयक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि गैर-गौवंशीय दूध पोषण, स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही विविध भौगोलिक और जैविक जरूरतों को भी पूरा करता है। आज के समय में जब स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, गैर-गौवंशीय दूधों की उपयोगिता और स्वीकार्यता भी तेज़ी से बढ़ रही है। डॉ. पूनिया ने ऊँटनी के दूध में विद्यमान विशेषताओं, विभिन्न मानवीय रोगों जैसे-मधुमेह, क्षय व ऑटिज्म में इसकी कारगरता तथा एन.आर.सी.सी. द्वारा दूध को बढ़ावा दिए जाने हेतु किए जा रहे व्यावहारिक पहलुओं को सदन के समक्ष रखा तथा इन सभी गैर-गौवंशीय पशुओं के दूध के प्रति जागरूकता बढ़ाने व इन्हें दूध व्यवसाय के रूप में अपनाने की बात कही।
इस अवसर पर आयोजित चर्चा सत्र के दौरान गैर-गौवंशीय दूध को लेकर प्रतिभागियों की व्यावहारिक एवं नीतिगत जिज्ञासाओं का वक्ताओं द्वारा उचित निराकरण भी प्रस्तुत किया गया। इस कार्यशाला कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ.योगेश कुमार, प्रभारी, डेयरी प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण इकाई ने कार्यशाला के उद्देश्यों एवं महत्व पर प्रकाश डाला तथा कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मितुल बुंबडिया ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया।