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*बायोमेट्रिक अटेंडेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए छात्र संख्या के अनुरूप छात्रों को पर्याप्त समय दिये जाने एवं कोलेज प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था किये जाने, कक्षाओं में छात्र संख्या के अनुरूप बैठक व्यवस्था किए जाने आदि मांगों पर छात्र संगठन ए.आई.डी.एस.ओ. ने प्रदर्शन कर कॉलेज प्राचार्य को सौंपा ज्ञापन।*

जिला ब्यूरो विकास अन्नोटिया

गुना। विगत दिनों में जारी सरकारी फरमान के अनुसार महाविद्यालय में बॉयोमीट्रिक उपस्तिथि पंजीकरण प्रक्रिया को शुरु की गई है। महाविद्यलय ने भी इसी के तहत अनान-फानन में बिना किसी उचित तैयारी के चंद दिन का समय देकर छात्रों के समक्ष सूचना भेज उन्हें पंजीकरण के लिए महाविद्यालय बुलाया। लेकिन जब पहले दिन ही हजारों छात्र महाविद्यालय पहुंचे तो कॉलेज में कोई ठोस व्यवस्था ना होने के चलते छात्रों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। छात्र लाइन में खड़े हैं लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन करने के लिए ऑपरेटर उपलब्ध नहीं है। 40 मशीनों में से 5 से 6 ही ऑपरेटर कॉलेज में उपलब्ध रहे है बाकी मशीनों पर कोई उपलब्ध नहीं था। इसके साथ ही छात्रों को रोज कॉलेज बुलाया जा रहा है लेकिन छात्रों की कक्षाएं लगाने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है,कक्षाओं में साउंड सिस्टम नहीं है, पढ़ने के लिए नए पाठ्यक्रम की किताबें नहीं है तो छात्र कैसे पढ़ पाए। इन समस्याओं के समाधान को लेकर आज प्राचार्य छात्र संगठन एआईडीएसओ की कॉलेज इकाई द्वारा प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया।

कॉलेज इकाई अध्यक्ष राधेश्याम चंदेल ने बताया कि महाविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के चलते ही छात्रों को परेशान होना पड़ रहा है। प्रशासन को पूरी तैयारी के साथ ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को शुरु करना चाहिए था। लेकिन महाविद्यालय ने बिना पूर्व तैयारी के हज़ारों छात्रों को कालेज में बुला लिया और छात्र दिन भर लाइनों में लगे रहे। और शाम को उन्हें घर जाने की हिदायत दे गई। अगले दिन फिर छात्र गांव-कस्बे से महाविद्यालय पहुंचे लेकिन व्यवस्थाएं बदहाल ही मिली। छात्र घंटो कतारों में लगे रहे। लेकिन जिले का अग्रणी महाविद्यालय ने छात्रों का पंजीकरण करवाना तो दूर रहा उनसे मिलकर जवाब देना भी उचित नहीं समझा। और ना ही कॉलेज प्रशासन की तरफ से छात्रों की समस्या का कोई ठोस समाधान निकाल गया।
राधेश्याम चंदेल ने बताया की बायोमैट्रिक अटेंडेंस शुरू करते हुए सरकार तर्क दे रही है कि “हम छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं और जो नहीं पढ़ना चाहते उनकी छात्रवृत्ति योजना, आवास योजना की राशि काट ली जाएगी तथा परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा।” किंतु अगर बारीकी से देखें तो सरकार का मकसद छात्रों को पढ़ाना ना होकर तमाम सरकारी सहायता को बंद करना तथा उन्हें पढ़ाई से दूर करना मालूम होता है। इस बात को छात्र समुदाय बहुत पहले से महसूस कर रहा था किंतु सरकार ने इस का लिखित प्रमाण नई शिक्षा नीति 2020 में पेश कर दिया जिसमें कहा गया कि “अब सरकार विश्वविद्यालयों को चलाने के लिए कोई अनुदान नहीं देगी।” जब अनुदान ही नहीं होगा तब शासकीय सुविधाएं मिलेगी कहां से? केवल छात्र आंदोलन के डर से ही उन्होंने बायोमेट्रिक अटेंडेंस जैसे नुस्खे अपनाएं हैं। यदि सरकार का मकसद छात्रों को पढ़ाना होता तो पढ़ाई के लिए जरूरी तमाम सुविधाओं को वे उन्हें पहले उपलब्ध करवाते। हमारे महाविद्यालय में छात्रों की संख्या 15,000 से अधिक है क्या महाविद्यालय में इनके बैठने तक की उचित व्यवस्था है? नहीं! तब सरकार यदि छात्रों के अध्ययन को लेकर गंभीर है तो पहले उनके बैठने लायक व्यवस्था तो करे। क्या इसका पता सरकार को नहीं है? यदि नहीं है तो महाविद्यालय प्रशासन सरकार को अवगत कराना चाहिए।
आम जनता की गाड़ी कमाई से बने छात्रावास धूल खा रहे है। कई बरसों से उनकी मरम्मत करवाने के लिए केवल कहा जा रहा है किंतु मरम्मत ना हो सके । ऐसे में गरीब और निर्धन परिवार के छात्र जिनकी शहर में रहने की स्थिति नहीं है वह कहां जा कर रहे? चुकीं आवास सहायता राशि भी समय पर नहीं मिलती। इसी से जाहिर होता है कि महाविद्यालय और सरकार दोनों की मंशा क्या है?
रोने आगे सॉन्ग सरकार ने जिस दिन से नई शिक्षा नीति2020 लागू की है उसी दिन से इसी ढंग के तुगलकी फरमान छात्रों के समक्ष अध्ययन में बाधा बनकर आ रहे हैं। चाहे वह बार-बार विषय परिवर्तन का मुद्दा हो या परीक्षा की समय सारणी में बार-बार परिवर्तन कर छात्रों को परीक्षा से वंचित करने का मुद्दा रहा हो। शुरू से लेकर अब तक छात्र इन सब से परेशान रहा है। अभी नई शिक्षा नीति के तहत आनन-फानन में परीक्षा परिणाम घोषित किया गया । जिसमें भारी गड़बड़ियां सामने आयी है। अधिकांशतः छात्रों एक ही जैसे विषयों में या तो अनुत्तीर्ण कर दिया गया है या फिर पूरक परीक्षा के लिए बाध्य किया गया । अकेले हमारे महाविद्यालाय से ही सैकड़ों छात्र हैं जिन्हें उपस्थित होते हुए भी अनुपस्थित दर्शाया गया है। किस आधार पर परीक्षा परिणाम तय किया है यह अब तक छात्रों की समझ में नहीं आ रहे। अंत में छात्र आंदोलन को बाध्य हुए तब दबाव में आकर यूनिवर्सिटी ने माना कि उन्होंने गलती की है किंतु अब तक रिजल्ट में परिवर्तन वे नहीं कर पाए हैं। सही परीक्षा परिणाम ना आने से छात्रों और अभिभावकों में निराशा का माहौल है कई सैकड़ों छात्र परेशान होकर पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। उक्त तमाम समस्याओं पर कॉलेज प्रशासन के द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है। ऐसे में जब छात्र समुदाय एकजुट होकर समस्याओं के निराकरण की मांग महाविद्यालय में कर रहे हैं तो धारा 144 का हवाला देकर छात्रों को आंदोलन प्रदर्शन करने से रोके जाने की कोशिश भी की जा रही है । इन हालातों में आज यहां प्राचार्य महोदय को ज्ञापन सौंपा गया । छात्रों के आंदोलन के दबाव में प्राचार्य महोदय उक्त समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया है ।
छात्र संगठन का कहना है कि जल्द ही हर एक समस्या का समाधान नहीं होता तो छात्र तेज आंदोलन करने पर बाध्य होंगे।

Vikas Annotiya

Beauro Chief District - Guna Madhya Pradesh

Vikas Annotiya

Beauro Chief District - Guna Madhya Pradesh

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