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भू-माफियाओं के खिलाफ सरकार सख्त,फिर भी पीड़ित दर-दर भटकने को मजबूर

 

हरदोई ब्यूरो चीफ अजय कुमार

प्रताप नगर/हरदोई_भू माफियाओं के खिलाफ पहले से ही जहां एंटी भू माफिया स्क्वायड का गठन किया गया है जिसके तहत मिलने वाली शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही की जाती है।हरदोई डीएम की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जमीनों के मामले में शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाया जाए।ऐसे बड़े बड़े आदेशों को दरकिनार करते हुए भू माफिया आज भी गरीबों पर जमीनी मामलों को लेकर हावी होते नजर आ रहे हैं।मामला थाना बेनीगंज के पुलिस चौकी प्रताप नगर अंतर्गत ग्राम ओंडाझार का प्रकाश में आया है।यहां के स्वर्गीय बैजू पुत्र रिक्खी पत्नी बैजरानी, धर्मेंद्र पुत्र छेदा, राम विलास पुत्र नारायन, राकेश पुत्र छेदा आदि के अनुसार उनकी सामलाती 2840 एयर भूमिधरी जमीन किसका गाटा संख्या 1651 पर दसकों से स्थानीय निवासी जाकिर मियां पुत्र छोटे लाल का कब्ज़ा है जिन्होंने जमीन के आस पास बाउंड्रीवॉल खड़ी कर रखी है।उपरोक्त भूमि में लगभग 15 आपसी साझीदार होने के कारण राज कुमार पुत्र छेदा, सन्तराम पुत्र डल्ला ने पुत्तू लाल पुत्र परवन के हाथों कुछ हिस्सा बेंच दिया है।पूरी भूमि का हिस्सा एक होने एवं उपजाऊ होने के कारण जाकिर मियां जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है।मामले पर न्याय पाने की आस लगाते हुए सभी उपरोक्त साझेदारों ने मिलकर थाना दिवस के दौरान कोतवाली बेनीगंज एवं तहसील दिवस पर उपजिलाधिकारी संडीला के समक्ष कई लिखित प्रार्थना पत्र दिए।जिससे जमीन को कब्जा मुक्त कराए जाने संबंधी कई फरमान तो जारी हुए पर वह क्षेत्रीय लेखपाल और पुलिस तक ही सीमित रह गए।पीड़ित खातेदारों के अनुसार पुलिस चौकी प्रताप नगर पर उन्हें बुलाया जाता है जहां क्षेत्रीय लेखपाल विशाल अस्थाना एवं जाकिर मियां पहले ही बैठे मिलते हैं जिनके सामने पुलिस अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए जमीन का मसला छोड़ देने की धमकी देती है अन्यथा मुकदमा लिख देने की बात कहते हुए भगा देती है।जमीन में साझेदार पुत्ती लाल ने बताया कि दलितों की जमीन पर बिना वजह के जाकिर मियां ने कब्जा कर रखा है जो भी जमीन के आसपास जाता है उसे जान से मारने की धमकी देते हैं।पुलिस को पैसा देते हैं जिससे पुलिस भी उनके अनुसार बात करती है।क्षेत्रीय लेखपाल विशाल अस्थाना ने बताया कि जमीन का मामला सही है कई बार जानकारी में आया है कानूनगो से जानकारी लें मुझे अधिक जानकारी नहीं है।जबकि लेखपाल द्वारा उक्त प्रकरण में पीड़ित भूमि मालिकों से लिखित बयान भी लिए जा चुके हैं।मामले की जानकारी कब्जेदार जाकिर मियां से ली गई तो उन्होंने कहा कि सन् 1993 में 10 रूपए स्टांप पर लिखित जमीन उपरोक्त लोगों से खरीदी थी तत्पश्चात उन्हीं लोगों को बहमी बटवारे अनुसार भूमि जोतने बोने हेतु दी गई थी जिसकी पूर्व के समय में लिखा पढ़ी भी कराई गई थी अब वह लोग चाहते हैं कि उन्हें जमीन वापस कर दी जाए तो ऐसा संभव नहीं है मामला दीवानी कोर्ट में है जिसकी प्रश्नोत्तरी नकल संबंधित जिम्मेदारों को उपलब्ध करा दी गई है।कोर्ट में 3 नवम्बर डेट लगी हुई है।कोर्ट द्वारा सभी को नोटिस प्राप्त कराया गया है आगामी न्यायालय जो भी फैसला करेगा हम मान्य करेंगे।बीते शुक्रवार को दोपहर लगभग दो बजे चौकी इंचार्ज विजय नारायण शुक्ला से जानकारी लेनी चाही गई तो महोदय पुलिस चौकी से नदारद थे।उन्होंने फोन उठाना तक मुनासिब नहीं समझा।सवाल उठना स्वाभाविक है अगर कोर्ट प्रश्नोत्तरी के आधार पर पुलिस राजस्व कर्मी मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं तो अन्य जमीनी विवादों में बगैर इस्टे ऑर्डर के कोर्ट प्रश्नोत्तरी पर फैसले कैसे हो जाते है।इससे साफ जाहिर होता है कि उपरोक्त पूरा मामला स्थानीय राजनीति से लबालब है जिसके कारण हर कोई बचता नजर आ रहा है।ऐसे में पीड़ित जमीन मालिकों को उनका हक मिल पाना राम भरोसे साबित हो रहा है।

Viyasmani Tripathi

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