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उप जिलाधिकारी हर्रैया मारपीट मामलें में जिला प्रशासन व पुलिस की चुप्पी किसी बड़ी घटना का कर रही इशारा

गिरफ्तारी मामले पर इंस्पेक्टर , सीओ व कप्तान के वकतव्यों में आपसी विरोधाभास - सीओ , संवाददाता की बात पर झल्लाते हुए 2030 में गिरफ्तारी की कर रहे बात  - कप्तान गिरफ्तारी का प्रयास होने की कर रहे बात , तो इंस्पेक्टर स्टेटमेंट देने के लिए अधिकृत नहीं हैं कहकर टाल रहे बात

ब्यूरो चीफ सचिन कुमार कसौधन

 बस्ती संवाददाता – जनपद में ला एवं आर्डर की क्या स्थिति है इसका सहज अंदाजा उपजिलाधिकारी हर्रैया के साथ की गयी मारपीट की घटना से लगाया जा सकता है जिसमें

मुकदमा पंजीकृत होने के बाद भी पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं और घटना को अंजाम देने वाले खुलेआम घूम – घूम कर जनता के बीच खतरा बने हुए पीड़ित के छाती पर मूँग दल रहे हैं ।

        जनपद में जब उप जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी की सुरक्षा का ये हाल है तो आम नागरिक कितना सुरक्षित है इसका खुद ही अंदाजा लगा या जा सकता है । जिस प्रकार साधारण सी घटनाओं में आम जनता को पुलिस जेल में ठूँस देती है वही वाली हिम्मत बस्ती पुलिस उपजिलाधिकारी प्रकरण में क्यों नहीं दिखा पा रही है इसको लेकर आम जनमानस में तरह – तरह की चर्चाएं जारी हैं । लोग सवाल पर सवाल दाग रहे हैं परन्तु पुलिस तमाशगीर बनी है आखिर ऐसा कौन सा दबाव या बन्धन है जिसे जिला प्रशासन झेल रहा है जिसके चलते पुलिस सब कुछ जानकर भी कार्यवाही नहीं कर पा रही है । घटना के पीछे का कारण कुछ भी हो परन्तु संवैधानिक व्यवस्था में किसी भी व्यक्ति को कानून हाथ में लेने की पावर संविधान नहीं देता है यदि कोई ऐसा करते पाया जाए तो संबन्धित को सबब स्वरूप इतनी सजा जरूर मिलनी चाहिए कि भविष्य में घटना की पुनरावृत्ति करने की कोई दूसरा हिम्मत न जुटा सके परन्तु हर्रैया में ऐसा न होकर उल्टी गंगा बह रही है घटना के मुख्य आरोपी अधिवक्ता महिनाथ तिवारी के विरुद्ध दो मुकदमें इसी प्रकार के पहले से दर्ज हैं फिर भी जिला प्रशासन मामले में प्रभावी कार्यवाही न करके अगली किसी बड़ी घटना की प्रतीक्षा हाथ पर हाथ रखे हुए कर रहा है जो आजाद भारत में किसी कलंक से कम नहीं है ।

Sachin Kumar Kasudhan

Beauro Chief (Basti)

Sachin Kumar Kasudhan

Beauro Chief (Basti)

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