LIVE TVदेशमनोरंजनशिक्षा

हिंदी साहित्य में अपना योगदान दे रहे युवा सूर्यांश तिवारी का यह लेख काफी कुछ बया करता दिखा

 

बस्ती

“कुछ नहीं सब ठीक है ”

“कागज़ को स्पर्श करती कलम की स्याही,

अधरो को स्पर्श करती कंठध्वनि। हृदय को स्पर्श करती भावों की पीड़ा, चक्षु पटल पर साफ झलकती जीवंत द्रवित भावोक्ति।।”

‘झकझोर सी देती है वेदना में तड़प उठती है’

” वो आत्मा फिर भी रुक कर अपना रूप बदलती, चुप रहती और धीरे से शिकायतों को खुद से मिटा खुद को नए पंक्तियों में ढाल खुद के भाव छुपाती।”

लिखना, लेना था नाम – लिखे,कहे – गुण, कहना था ठहरो – खुद हार बैठे।

आंखों ने बिखरने, सवरने, लिपटने की दिखाई मगर – चूर, क्रूर, दूर हो बैठे ।।

आपको बताते चले आज की युवा पीढ़ी जिस कदर आत्महत्या की ओर अग्रसर हो रही है उनकी कुंठित कुलशित विकारों से ग्रशित भावो को सूर्यांश तिवारी युवा लेखक ने थोड़े से शब्दो में समझाने का प्रयास किया है ।

 

आज़ाद

संवाददाता बस्ती

Viyasmani Tripathi

Cheif editor Mobile no 9795441508/7905219162

Related Articles

Back to top button