अपना दल (एस) चन्दौली विधानसभा मुगलसराय के ग्राम बखरा में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक एवं आधुनिक अखण्ड भारत के निर्माता, भारत रत्न, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 147 वीं जयंती का. जिलाध्यक्ष डा.उदित नारायण की अध्यक्षता में मनाई गई।

राम सुदीन,ब्यूरो चीफ सोनभद्र
जिसके मुख्य अतिथि पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय श्री दिनेश बियार जी उपस्थित रहे।
दिनेश बियार ने कहा कि
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजाद भारत के पहले गृहमंत्री व उप प्रधानमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था,…
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजाद भारत के पहले गृहमंत्री व उप प्रधानमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। 31 अक्टूबर 1875 गुजरात के नाडियाद में सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था।
उन के पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटे और चौथे नंबर पर थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा का प्रमुख साधन स्वाध्याय था। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और उसके बाद भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की।
महात्मा गांधी से प्रेरित होकर वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। सरदार पटेल स्वतंत्रता आंदोलन में पहला प्रमुख योगदान खेड़ा संघर्ष के रूप में सामने आया। जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की। जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित किया। अंत में अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत देनी पड़ी।
बारडोली सत्याग्रह के बाद से उनके नाम से साथ सरदार जुड़ गया। बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पहले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।
आजादी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए वह लोगों की पहली पसंद थे, लेकिन महात्मा गांधी की इच्छा का आदर करते हुए वह प्रधानमंत्री की दौड़ से अलग हो गए और इस पद के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपना समर्थन दिया। सरकार बनने पर उन्हें उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री का पद सौंपा गया। इस दौरान उन्होंने देशी रियासतों का विलय कर एक राष्ट्र का निर्माण करने की जिम्मेदारी निभाई। हैदराबाद के अलावा बाकी रियासतों ने शांति पूर्वक भारत में अपना विलय होना स्वीकार किया। उन्होंने हैदाबाद में सेना भेजकर ऑपरेशन पोलो के तहत भारतीय गणराज्य में मिलाये|
कार्यक्रम में कार्यवाहक पदाधिकारी जिला उपाध्यक्ष श्री घनश्याम पटेल,सचिव श्री रामू गुप्ता,कोषाध्यक्ष डा.महेन्द्र पटेल,अशोक पटेल,
मुगलसराय विधानसभा अध्यक्ष पंचम पटेल,रामदुलारे पटेल,दिलीप रावत,अमित बियार,दिलीप रावत,गोपल,श्रीमती मन्सा देवी सहित उपस्थित समस्त कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गई और देश की एकता व अखंडता के लिए उनके द्वारा किये गए कार्यो का स्मरण किया गया।