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22 देशों के बीच चुने गए भारत के अमन नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ करुणा शांति और सामाजिक न्याय को देंगे बढ़ावा

भारत की करुणा, संस्कृति और संवेदना को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करेंगे 22 वर्षीय युवा अमन राज्य युवा पुरस्कार से सम्मानित बागपत के अमन कुमार बनेंगे विश्व के पहले 'ग्लोबल कम्पैशन एम्बेसडर'

बागपत से अमन कुमार

 

बागपत, उत्तर प्रदेश | 24 मई 2025 — जब दुनिया संघर्ष, असमानता और अलगाव के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत—जो शांति, करुणा और मानवता की भावना में निहित है—उसका संदेश फैलाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसी भावना को वैश्विक पटल पर प्रस्तुत करने का एक ऐतिहासिक अवसर उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के ग्रामीण युवा अमन कुमार को मिला है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित ‘सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन’ के तहत आयोजित सत्यार्थी समर स्कूल 2025 के लिए उनका चयन 22 देशों और 250 से अधिक विश्वविद्यालयों से प्राप्त 1200 आवेदनों में से शीर्ष 25 युवा नेताओं में हुआ है।

यह समर स्कूल जून माह में नई दिल्ली और राजस्थान में आयोजित होगा, जिसमें करुणा-आधारित नेतृत्व, सह-अस्तित्व, सामाजिक न्याय और मानवीय संवेदनाओं को केंद्र में रखकर एक महीने की गहन आवासीय फेलोशिप दी जाएगी। इस दौरान प्रतिभागियों को न केवल कैलाश सत्यार्थी जैसे शांति दूतों से संवाद का अवसर मिलेगा, बल्कि उन्हें वैश्विक नीति निर्माताओं और विचारकों से भी सीखने का अवसर मिलेगा। इस फेलोशिप के पश्चात, अमन को ‘ग्लोबल कम्पैशन एम्बेसडर’ की मानद उपाधि प्राप्त होगी—जो उन्हें भारत की करुणा और संवेदना को विश्व के कोनों तक पहुंचाने के लिए एक आधिकारिक भूमिका प्रदान करेगी।

अमन कुमार का यह चयन केवल एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व है। भारत की परंपरा में “वसुधैव कुटुम्बकम्” (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) की भावना रही है, जिसे अमन जैसे युवा अब आधुनिक वैश्विक मंचों पर जीवंत कर रहे हैं। अमन का कहना है, “जब तकनीक और लाभ का बोलबाला है, तब करुणा और शांति जैसे मूल्यों को बचाकर रखना और उन्हें साझा करना ही आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मैं एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आता हूँ, और मुझे गर्व है कि मैं भारत की सदियों पुरानी मानवतावादी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय युवाओं के समक्ष प्रस्तुत कर सकूंगा।”

अमन कुमार एक माय भारत स्वयंसेवक है जो वर्तमान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से समाज कार्य की शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वह यूनेस्को की ग्लोबल यूथ कम्युनिटी के सदस्य और उड़ान यूथ क्लब के अध्यक्ष है। अमन फिनलैंड स्थित हंड्रेड संस्था के सलाहकार, पर्यावरण संबंधी विभिन्न संस्थानों के सदस्य, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा समर्थित नेचर पॉजिटिव यूनिवर्सिटी प्रोग्राम के एम्बेसडर, और क्लाइमेट कार्डिनल्स के इंडिया चैप्टर के समन्वयक भी हैं।

उनकी उपलब्धियों में उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च युवा पुरस्कार- राज्य स्तरीय स्वामी विवेकानंद यूथ अवॉर्ड, यूनिसेफ इंडिया का मोस्ट वैल्यूएबल यू रिपोर्टर अवार्ड, ऋषिहुड यूनिवर्सिटी का चेंजिंग चॉक्स अवार्ड, एजुक्लाउड्स का एंपावर्ड अवार्ड जैसे कई सम्मान शामिल हैं। वह 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष युवा अतिथि बनने का गौरव प्राप्त कर चुके है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अमन अपने अनुभवों को केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उन्होंने घोषणा की है कि वे विवेकानंद युवा पुरस्कार के तहत मिली धनराशि का एक हिस्सा शांति और दयालुता के प्रसार हेतु समर्पित करेंगे। आज जब वैश्विक विमर्श तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रतिस्पर्धा की ओर झुका है, तब भारत के एक ग्रामीण युवा द्वारा दयालुता, करुणा और संवेदना जैसे मूल्यों की वकालत करना यह बताता है कि भारत न केवल तकनीकी शक्ति बन रहा है, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक नेतृत्व में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

Viyasmani Tripathi

Cheif editor Mobile no 9795441508/7905219162

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