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महापुरुषों की प्रतिमाएं संसद प्रांगण से हटाकर सरकार ने दिया बहुजन विरोधी संदेश – विभिन्न संगठनों ने जताया रोष 

महापुरुषों की प्रतिमाएं संसद प्रांगण से हटाकर सरकार का बहुजन विरोधी चेहरा हुआ बेनकाब - प्रतिमाओं को की यथास्थिति स्थापित करने की मांग संसद प्रांगण के विशिष्ट स्थान से बाबा साहेब व अन्य महापुरुषों की प्रतिमाएं उदासीन जगह पर स्थापित करने का है संगीन मामला 

ब्यूरो चीफ सतीश कुमार महेंद्रगढ़ हरियाणा

 

नारनौल 28 जून

       पुराने संसद भवन में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर एवं अन्य महापुरुषों की विस्थापित मूर्तियों को पुनः अपने पूर्वस्थान पर स्थापित करने की मांग को लेकर सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के तत्वावधान में विभिन्न संगठनों द्वारा समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान की अध्यक्षता में महेंद्रगढ़ रोड़ स्थित बाबा साहेब की स्टेच्यू के प्रांगण में एकत्रित होकर रोष प्रकट करते सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और समिति की ओर से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि डॉ भीमराव अम्बेडकर व अन्य महापुरुषों की स्टेच्यू पूर्व स्थान पर ही स्थापित की जाए । मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए संघर्ष समिति के महासचिव एवं कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के प्रमुख सलाहकार बिरदी चंद गोठवाल ने बताया कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर एक अप्रतिम विद्वान, प्रख्यात न्यायविद, उत्कृष्ट संविधान विशेषज्ञ, प्रमुख संविधान शिल्पकार, प्रतिभाशाली सांसद, समाज-सुधारक और क्रांतिकारी होने के साथ साथ मानव अधिकारों के पुरोधा और मानव गरिमा सुनिश्चित करने के लिए अदम्य सेनानी थे। ऐसे महान महापुरुष का स्टेच्यू विशिष्ट स्थान से हटकर पुरानी संसद भवन के पीछे स्थानांतरित करना न्यायसंगत नहीं है । गोठवाल ने बताया कि बाबा साहब भीमराव की कांस्य प्रतिमा 1967 में संसद प्रांगण में स्थापित की गई थी जो ‘बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल कमेटी द्वारा दान की गई थी। इसके निर्माण के लिए अम्बेडकरवादी समुदाय ने सार्वजनिक योगदान के माध्यम से धन एकत्र किया था। इस प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा 2 अप्रैल 1967 को किया गया था, परंतु बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि लोकसभा 2024 के चुनाव की पूर्व संध्या में रात के अँधेरे में लोकसभा सचिवालय के महासचिव द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के पुरानी संसद भवन में ऐसी जगह बाबा साहेब की मूर्ति को लगा दिया, जहां यह मूर्ति सांसदों, स्वदेशी एवं विदेशी विशिष्ट मेहमानों और श्रद्धालुओं की आंखों से सदैव ओझल रहेगी । समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान, जांगिड़ समाज के प्रमुख समाजसेवी व चेयरमैन सुरेश जांगड़ा, हरियाणा प्रदेश चमार महासभा के प्रधान व संघर्ष समिति के प्रवक्ता अनिल फाण्डन, डॉ अम्बेडकर जन जाग्रति मंच के प्रधान जसवंत भाटी व दहेज विरोधी मिशन के प्रधान रामेश्वर दयाल यादव आदि ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि लोकसभा सचिवालय के महासचिव के इस उद्यम ने सभी अम्बेडकरवादियों की भावनाओं को आहत कर दिया। बाबा साहब डॉ भीमराव की मूर्ति के संसद प्रांगण में स्थापना के समय किसी प्रकार का आंदोलन नहीं किया गया था परंतु अब एकांत और उदासीन स्थान पर बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को ले जाकर स्थापित करने पर देश विदेश में समग्र अम्बेडकर अनुयायियों की भावनाओं को ठेस लगी है । प्रतिमा के स्थान बदलने की घटना के बाद अम्बेडकर वादियों के दिलों में इस कदर ज्वाला धधक रही है जिसका कोई अंत नहीं है । इसकी एक मिशाल 26 जून को जंतर-मन्तर पर सरकार के विरोध में उमड़े जनसैलाब से भी देख चुके हैं कि किस कदर अपने मसीहा की प्रतिमा को विस्थापित करने पर सभी अम्बेडकरवादी भयंकर खार खाए हुए हैं, आंदोलन कर रहे हैं और जेल जाने से भी नहीं डर रहे हैं । य़ह तो एक बानगी है, यदि सरकार ने अपना अडिग रवैया नहीं छोड़ा तो विद्रोह की ज्वाला पूरे देश में दावानल की तरह फैल जाएगी जिसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेवार होगी। अतः लोकसभा सचिवालय के महासचिव द्वारा किए गए समाज व दलित विरोधी कार्य की सभी संगठन भ्रसक निंदा करते हैं और सरकार से आग्रह करते हैं कि इस प्रतिमा को पुनः अपनी पुरानी जगह पर ही लगाई जाए ।

विरोध प्रदर्शन बैठक में गुरु रविदास एवं अंबेडकर महासभा फेडरेशन के प्रदेश लेखापरीक्षक रामकुमार ढ़ैणवाल, वाल्मीकि सभा के राजेश चांवरिया, कबीर सामाजिक उत्थान संस्था के प्यारेलाल चवन, भारतीय सामाजिक परिवर्तन संघ के सुमेर सिंह गोठवाल, संघर्ष समिति के सचिव हजारीलाल खटावला, पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक जयपाल सिंह, प्रमुख समाजसेवी ओमप्रकाश मांडैया, पूर्व जिला पार्षद अश्वनी कुमार, पूर्व थानेदार रोहतास सिंह, अमरनाथ सिरोहा, अमित राज व लखमीचंद आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Satish Kumar

Beauro Chief Mahendragarh Haryana

Satish Kumar

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