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भागवत कथा का समापन एवं कलश यात्रा,भक्ति और आस्था का संगम….आचार्य राजवीर शास्त्री,धूमधाम से निकाली गई कलश यात्रा 

The conclusion of the Bhagwat Katha and the Kalash Yatra (procession), a confluence of devotion and faith... Acharya Rajveer Shastri, the Kalash Yatra was carried out with great pomp and show.

ब्यूरो रिपोर्ट… रामपाल सिंह धनगर

रूद्रपुर,आजाद नगर…(देवभूमि हेडलाइंस) ट्रांजिट कैंप के वार्ड नंबर 7 में आजाद नगर में भागवत कथा का आयोजन किया गया। आज समापन के दौरान धूमधाम से कलश यात्रा निकाली गई कलश यात्रा आजाद नगर से होकर माता अटरिया मंदिर तक पहुंची।

जहां कलश को विसर्जन कर भक्तों ने गंगा मां का आशीर्वाद लिया। इस दौरान आचार्य राजवीर शास्त्री ने कहा भागवत कथा करने से धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान होता है। यह सिर्फ सात दिनों की कथा नहीं, बल्कि जीवन की शिक्षाओं, भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और धर्म के मर्म को समझने का एक सफर होता है।

इस पवित्र यात्रा का समापन और उसके साथ होने वाली भव्य कलश यात्रा, भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। ज्ञान से भक्ति की ओर सप्ताह भर चलने वाली भागवत कथा का अंतिम दिन, जिसे अक्सर “विश्राम” या “पूर्णाहुति” कहा जाता है, भावनाओं का एक ज्वार लेकर आता है। व्यास पीठ से कथावाचक द्वारा सुनाई गई अंतिम लीलाएं, सुदामा चरित्र या उद्धव-गोपी संवाद, भक्तों की आँखों को नम कर देती हैं। इस दिन कथा का सार—कि जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना और निरंतर भगवान के नाम का जाप करना है।

दृढ़ता से स्थापित होता है। समापन दिवस पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। कथा के मुख्य यजमान द्वारा पोथी पूजन और आरती की जाती है। इस क्षण वातावरण में एक दिव्य शांति और संतोष का भाव होता है। भक्तजन कथा के माध्यम से प्राप्त ज्ञान और आशीर्वाद को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं। समापन यह दर्शाता है कि भौतिक संसार की हर यात्रा का अंत होता है, लेकिन भक्ति की यात्रा अनंत है।

भागवत कथा के आयोजन की शुरुआत और समापन, दोनों ही कलश यात्रा के बिना अधूरे माने जाते हैं। विशेषकर समापन के दिन निकाली जाने वाली कलश यात्रा अत्यंत भव्य होती है। यह यात्रा भक्ति और आस्था का एक जीवंत प्रदर्शन है। कलश यात्रा में महिलाएं सिर पर मंगल कलश (जल से भरा पात्र जिस पर नारियल रखा होता है) धारण कर चलती हैं। यह कलश पवित्रता, सौभाग्य और ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यात्रा में पुरुष, बच्चे, ढोल-नगाड़े, कीर्तन मंडलियाँ और झांकियाँ शामिल होती हैं। “हरे राम हरे कृष्ण” और “जय श्री कृष्णा” के उद्घोष से पूरा वातावरण गूंज उठता है।

इस दौरान पार्षद राजेंद्र राठौर ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य कथा के सफल आयोजन के लिए ईश्वर को धन्यवाद देना और प्राप्त हुए पुण्य लाभ को पूरे समाज में बांटना होता है। यह एक प्रकार से धर्म का प्रचार और सामूहिक एकता का प्रतीक भी है। यात्रा के दौरान जगह-जगह पुष्प वर्षा की जाती है और लोग श्रद्धापूर्वक कलशों को प्रणाम करते हैं। यह दृश्य ऐसा प्रतीत होता है मानो भक्ति का सागर उमड़ आया हो। इस दौरान पार्षद राजेंद्र राठौर,पार्षद कैलाश राठौर,गेंदनलाल राठौर तेजपाल राठौर होरीलाल राठौर,नरेश राठौर, धर्मेंद्र राठौर, प्रदीप,खेमकरण राठौर, निर्मला देवी संजना, सूरज मौर्य, सुरेश सागर,आकाश राठौर, सुनील राठौर, गोविंद राठौड़,नत्थो देवी,आरती,अनीता खुशबू,सुनीता,एवं सैकड़ो की संख्या में भक्त उपस्थित थे।

Anita Pal

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