
ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग
जसोल – पुराणा ओसवाल भवन जसोल में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वीश्री रातिप्रभा जी के सान्निध्य में भिक्षु जन्म शताब्दी का कार्यक्रम बड़े उल्लास के साथ मनाया गया।
साध्वीश्री रातिप्रभा जी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे सौभाग्योदय का महत्वपूर्ण दिवस है। आज के दिन एक आलोकपूज ने अवतार लिया। जिसकी आभा से, जिसकी ऊर्जा से तेरापंथ ही नही जिनशासन का कोना कोना महक उठी। आचार्य भिक्षु ने शिथिलाचार विरुद्ध धर्मक्रांति की।आचार्य भिक्षु के मन मे न महत्वकांशा थी, न कोई आकांक्षा, शुद्धाचार पालन का ही उनका लक्ष्य था। भगवान महावीर की वाणी ही उनके जीवन का मार्गदर्शन था। शुद्ध धर्म की प्रतिष्ठा के लिए वे जीवन भर झुंझते रहे, साहस श्रम और दृढ़निष्ठा के साथ बढ़ते रहे। तूफानी कष्ठों में भी उनके चरण झुके नही, साहसी चरण बढ़ते रहे मंजिल की और !
साध्वीश्री कलाप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु हमारे प्रथम आराध्य थे।वे आत्मार्थी पुरूष थे। सत्य की पगडंडियों पर निरंतर चलते रहे, तूफानी झंझावातो के बीच भी अडिग रहे, सुमेरु की तरह। उनका लक्ष्य महान था, चिंतन महान था एवं कार्य महान था। उन्होंने जो दिया जो कहा कि इतिहास की पृष्ठों में अमर बन गया। सहस्र शताब्दियों में महनीय महापुरुष मिलना दुर्लभ है।
साध्वीश्री मनोज्ञयशा जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ “भिक्षु म्हारे प्रगटीया जी…” गीत के साथ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन भी साध्वीश्री मनोज्ञयशा जी ने बडी कुशलता के साथ किया। तथा आचार्य भिक्षु के प्रति अनंत श्रद्धा व्यक्त करते हुये कहा कि आचार्य श्री भिक्षु हमारे रोम रोम में बसे हुए हैं, हमारे रग रग में रमे हुए है।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामन्त्र के द्वारा हुआ। तथा भिक्षु हमारे परगटीया इस गीतिका का सह संगान पश्चात पांच मिनिट का सामुहिक ॐ भिक्षु – जय भिक्षु का जप चला। कन्या मंडल द्वारा ” क्या तुमने भिक्षु को देखा…इसके द्वारा मंगलाचरण किया गया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष भूपतराज कोठारी, महासभा सदस्य गौतमचन्द सालेचा, माणकचन्द संखलेचा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष महावीर सालेचा, निवर्तमान सभा अध्यक्ष उषभराज तातेड़, प्रवीण भंसाली, पुष्पादेवी बुरड़, जिज्ञाशा डोसी आदि ने गीत, भाषण, मुक्तक आदि द्वारा आराध्य के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम संघ प्रभावक एवं प्रेरणादायक रहा।