
ब्यूरो चीफ सतीश कुमार महेंद्रगढ़ हरियाणा
नारनौल, 22 मार्च। विश्व जल दिवस के उपलक्ष में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन द्वारा राजकीय महाविद्यालय कृष्ण नगर में जिला स्तरीय कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में नगरधीश डाॅ. मंगल सैन उपस्थित रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ. सुमन यादव, प्रचार्या राजकीय महाविद्यालय कृष्ण नगर, अशोक कुमार डागर उपमंडल अभियंता व जिला सलाहकार मंगतुराम सरसवा ने कार्यक्रम में शिरकत की। हर वर्ष की भांति इस बार भी विश्व जल दिवस 2023 की थीम त्वरित बदलाव के उपर मनाया गया। जिला स्तरीय कार्यक्रम में स्लोगन लेखन, भाषण, पेंटिंग व रंगोली प्रतियोगिता करवाई गई जिसमें जिले के विभिन्न प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागी छात्रों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में सबसे पहले प्राचार्य सुनीता यादव ने उपस्थित जनों का अभिनंदन किया।
कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में बोलते हुए नगराधीश डाॅ. मगल सैन ने बताया कि हर साल 22 मार्च को विश्व भर में जल दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से पर पानी है लेकिन इसमें से केवल 3 प्रतिशत पानी ही पीने लायक है। विश्व भर में आज भी लोग पीने के पानी के लिए तरसते हैं। जिस तरह से पीने लायक पानी पृथ्वी से कम होता जा रहा है, आने वाली पीढ़ी के लिए साफ और मीठा पानी बचा पाना मुश्किल हो रहा है। लोगों को जल का महत्व बताने और जल संरक्षण करने के लिए हर साल विश्व जल दिवस मनाया जाता है। यूएन द्वारा जल दिवस पर सम्मेलन का आयोजन होता है। इस साल यूएन 2023 जल सम्मेलन 22 से 24 मार्च न्यूयार्क में होगा जिसका उद्देश्य लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाना है। जल का हमारे जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जल की हर बूंद का संरक्षण करने की जरूरत है। वहीं इस मौके पर जिला सलाहकार मंगतुराम सरसवा ने छात्राओं को पानी के महत्व के बारे में समझाया ही नहीं बल्कि इसे प्रैक्टिकल करके दिखाया। इसमें बताया कि किस प्रकार से देश में पानी की बर्बादी के कारण भूमि का जल स्तर लगातार गिर रहा है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें भूमिगत जल रिचार्ज के साथ-साथ पेयजल की बर्बादी को रोकने की जरूरत है। हर नल पर टूंटी लगे व भूजल रिचार्ज के लिए बारिश के पानी को संजोकर रखने की जरूरत है। उपमंडल अभियंता ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा दिये जा रहे पेयजल व्यवस्था की तकनीकी जानकारी प्रदान की। डाॅ. नरेश ने अपने व्यक्तव्य में पानी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि विश्व में पहली बार विश्व जल दिवस 1993 में मनाया गया।
30 साल बाद भी पानी को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। मुख्य अतिथि ने बताया कि ऋग्वेद में बताया गया है कि जल आनंद का स्त्रोत है, ऊर्जा का भंडार है। कल्याणकारी है। पवित्र करने वाला है। और मां की तरह पोषक तथा जीवनदाता है।।
जीवन की मूलभूत आवश्यकता पानी है पानी नहीं तो जीवन नहीं मानव विकास के लिए पेयजल की सुनिश्चित उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण होती है। दुनिया की कुल आबादी में से लगभग 18 प्रतिशत लोग और 15 प्रतिशत मवेशी भारत में रहते हैं। गौर करने की बात है कि दुनिया की कुल जमीन में से हमारे पास मात्र 2 प्रतिशत जमीन और मीठे पानी की मात्र 4 प्रतिशत संसाधन है।
एक अनुमान के अनुसार वर्ष 1951 में मीठे पानी की प्रति व्यक्ति वार्षिक उपलब्धता 5177 घन मीटर थी जो वर्ष 2011 में घटकर 1545 घन मीटर रह गई।
एक अनुमान है कि वर्ष 2019 में यह लगभग 1368 घन मीटर है, जो 2025 में घटकर संभवतः है 1293 घन मीटर रह जाएगी। मीठे पानी की उपलब्धता में यदि यह गिरावट जारी रही तो वर्ष 2050 में मीठे पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता घटकर 1140 घन मीटर ही रह जाएगी जो की चिंता का विषय है।
मुख्य अतिथि उपमंडल अभियंता अशोक कुमार डागर ने छात्र-छात्राओं को 5 आर की रणनीति के बारे में भी बताया।
जल संरक्षण संबंधित 5 आर रणनीति-
रिड्यूस – जल का व्यय कम करना।
रियूज -जल का पुनः प्रयोग करना।
रिचार्ज – वर्षा जल संचय करना।
रिसाईकिल -जल का पुनर्चक्रण करना।
रिस्पेक्ट – जल की इज्जत करना।