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डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ कृत ‘ प्रताप प्रभु श्रीराम का’ लोकार्पण
रचनाधर्मिता के विविध आयामों पर विमर्श

बस्ती से वेदान्त सिंह
बस्ती । प्रेस क्लब सभागार में डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ कृत ‘ प्रताप, प्रभु श्रीराम का’ लोकार्पण सम्पन्न हुआ। हिन्दी साहित्य भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ. ओम प्रकाश द्विवेदी ‘ओम’ ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि मर्यादा के राम को साहित्यकारों, कवियों, इतिहासकारों ने अलग-अलग दृष्टिकोण से व्याख्या करने के साथ ही गायन, वाचन किया है। डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ कृत ‘ प्रताप, प्रभु श्रीराम का’ इसी परम्परा को आगे बढाते हुये प्रश्न के स्थान पर समाधान उपस्थित करता है। अध्यक्षता करते हुये डॉ. रामनरेश सिंह मंजुल ने कहा कि राजेन्द्र सिंह ‘राही’ कृत ‘ प्रताप, प्रभु श्रीराम का’ में कवि ने श्रीराम को विविध रूपों में देखने, परखने के साथ ही उसे दोहा छंद में स्वर दिया है। निश्चित रूप से यह कृति पाठकों को श्रीराम के नये अनुभूतियों से परिचित करायेगी।
लोकार्पण अवसर पर डॉ .मुकेश कुमार मिश्र, डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ श्याम प्रकाश शर्मा, सुशील सिंह ‘पथिक’ आदि ने ‘ प्रताप, प्रभु श्रीराम का’ के विविध रूप, स्वरूप पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ .मुकेश कुमार मिश्र ने अनेक उदाहरण देते हुये कहा कि यह पुस्तक शोधार्थियों के लिये भी लाभकारी है। डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ ने कहा कि काव्य संग्रह में उनकी अनुभूतियों के राम हैं। आयोजक ओंकार सिंह और संयोजक वागीशदत्त पाण्डेय ने अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापन किया। संचालन करते हुये विनोद उपाध्याय हर्षित ने अनेक महत्वपूर्ण विन्दुओं को रेखांकित किया।
लोकार्पण के बाद आयोजित कवि सम्मेलन में ताजीर वस्तवी, हरीश दरवेश, सागर गोरखपुरी, शिवा त्रिपाठी, अर्चना श्रीवास्तव, जगदम्बा प्रसाद भावुक, तौआब अली, साद अहमद ‘ शाद’, दीपक सिंह प्रेमी, हरिकेश प्रजापति, तेज प्रताप शुक्ल, फूलचन्द चौधरी, वृजेश कुमार आदि की रचनायें सराही गई। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा. आशुतोष कुमार शुक्ल, उदयभान सिंह, लखपत सिंह, नेबूलाल यादव, कृपाशंकर शुक्ल, योगेन्द्र सिंह, राजेश चित्रगुप्त, नागेन्द्र सिंह, अवनीश त्रिपाठी, सत्येन्द्र बहादुर पाल, राजेश त्रिपाठी, विजय कुमार सिंह, वेद प्रकाश सिंह, सुनील सिंह, शेषमणि, शिवांश सिंह, राहुल, अर्जुन सिंह, राजेश वर्मा, परशुराम, बब्लू पाण्डेय, सामईन फारूकी, गुड्डू तिवारी, नगेसर, एम.पी. सिंह के साथ ही अनेक साहित्यकार, कवि उपस्थित रहे।

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