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बस्ती में नेता सिर्फ सोशल मीडिया के हीरो ज़मीन पर न शिक्षा सुधरी न स्वास्थ्य

ब्यूरो चीफ सचिन कुमार कसौधन

*बस्ती में नेता सिर्फ सोशल मीडिया के हीरो ज़मीन पर न शिक्षा सुधरी न स्वास्थ्य*

 *जनता प्यासी,नेता पोस्टर में डूबे अस्पतालों में पानी नहीं, स्कूलों में लूट जारी*

*शिक्षा में लूट, अस्पताल में बदहाली बस्ती की जनता बेसहारा!”*

-ना अस्पताल की चिंता, ना स्कूल की फिक्र नेता बस सोशल मीडिया पर सक्रिय

-पक्ष-विपक्ष दोनों गायब – सोशल मीडिया पर एक्टिव, ज़मीनी समस्याओं पर सन्नाटा

बस्ती। जिले की राजनीति अब विकास नहीं, दिखावे की राजनीति बनकर रह गई है। पक्ष और विपक्ष दोनों के जनप्रतिनिधि सिर्फ अपने चेहरों को चमकाने में व्यस्त हैं। विकास कार्यों की जगह अब बड़े-बड़े पोस्टर, स्मृति द्वार और समारोहों की तस्वीरें ही चर्चा में हैं। लेकिन हकीकत यह है कि जिले की ज़रूरतें और समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का सबसे बड़ा उदाहरण जिले के अस्पताल हैं, जहां इलाज कराने आने वाले मरीजों के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। लेकिन किसी भी विधायक, सांसद या अन्य जनप्रतिनिधि ने अस्पताल का हाल जानने की जरूरत नहीं समझी। फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना उनके “कर्तव्यों” तक सीमित हो गया है।

बस्ती जिले के प्राइवेट विद्यालयों में गरीब बच्चों से जबरन महंगी किताबें और जूते खरीदवाए जा रहे हैं। यह सीधे-सीधे गरीबों की जेब पर डाका है, लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर न बोलता है, न कोई कार्रवाई करता है। शिक्षा व्यवस्था में लूट जारी है और अभिभावक मजबूरी में खामोश हैं। स्वास्थ्य सेवाएं लगातार गिरती जा रही हैं — चाहे वह सरकारी अस्पताल हो या निजी क्लीनिक। आए दिन लापरवाही, अव्यवस्था और मरीजों की परेशानी की खबरें सामने आती हैं। संगठनों ने कई बार आवाज़ उठाई, ज्ञापन दिए, प्रदर्शन किए — लेकिन जनप्रतिनिधियों ने अपनी आंखें और कान दोनों बंद कर रखे हैं। बस्ती जिले के लोगों को अब यह समझने की जरूरत है कि सिर्फ नेताओं के पोस्टर लगाने और शिलान्यास पत्थर रखने से विकास नहीं होता। असली काम जमीनी हकीकत को समझने और सुधारने का होता है — जो यहां गायब है।

Sachin Kumar Kasudhan

Beauro Chief (Basti)

Sachin Kumar Kasudhan

Beauro Chief (Basti)

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