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आपातकाल लोकतंत्र पर धब्बा था :- बांठिया
लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान मे आयोजित कार्यक्रम में बांठिया ने लिया भाग

ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग
बालोतरा।
आपातकाल लगाये जाने के 50 वर्ष पूर्ण होने पर भारतीय लोकतंत्र का काला प्राध्याय संविधान हत्या दिवस-2025 के
लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान मे जोधपुर संभाग स्तरीय कार्यक्रम मारवाड़ इन्टरनेशनल सेन्टर नियर महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज जोधपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया जिसमें जिला बालोतरा के लोकतंत्र सेनानी पूर्व विधायक जनसेवक स्व श्री चम्पालाल बांठिया का सम्मान उनके ज्येष्ठ पुत्र गणपत बांठिया ने ग्रहण किया।
लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान मे जोधपुर संभाग स्तरीय
में आपातकाल में अपने साहस का परिचय देने के साथ जेल में रहने वाले लोकतंत्र के सेनानी पूर्व विधायक स्व चम्पालाल बांठिया का सम्मान उनके पुत्र भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य गणपत बांठिया ने लिया।वही बालोतरा जिले से दो ओर स्वतंत्र सेनानी शंकरलाल चारण व स्व भंवरलाल सालेचा के पोते ने भाग लिया।उनका अथितियों द्वारा साफा,शॉल व तिलक लगाकर कर स्वागत किया।
कार्यक्रम में राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा,कैबिनेट में विधि मंत्री जोगाराम पटेल,पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत, राज्य मंत्री के के विश्नोई,
राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत,विधानसभा में मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग सहित अनेको पूर्व सांसद, विधायकगण ने भाग लिया।
गणपत बांठिया ने सम्मान ग्रहण करते हुए कहा कि पूज्य पिताजी स्व. पूर्व विधायक श्री चम्पालाल बांठिया ने अदम्य साहस, त्याग के साथ आपातकाल के दौरान हमारे देश के लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दृढ संकल्प और अटूट भावना से प्रेरित होकर अंधकारमय समय में भी आशा की किरण जगाई थी।उन्होंने ने बताया कि पूर्व विधायक बांठियाजी जनसंघ के प्रारंभिक सदस्य रहे।दो बार विधायक रहे , 1965 व 1971 के भारत पाक युद्ध के समय अहम योगदान दिया।जब आपातकाल लगा तब पूज्य पिताजी शहर के जुनाकोट में नारेबाजी कर रहे थे तो पुलिस ने उनको दो दिन तक बालोतरा थाने में रखा उसके बाद उन्हें जोधपुर जेल में भेज दिया गया।
बांठिया ने कहा कि 25 जून 1975 की रात्रि को देश के लोगो को कुचलने का जो कृत्य तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने किया। इस आदेश से 21 महीने के युग की शुरुआत हुई जिसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन करके देश पर शासन करने का निरंकुश अधिकार मिल गया। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया, और मीडिया ने अपनी प्रेस की स्वतंत्रता खो दी और सेंसरशिप के अधीन हो गए।इंदिरा गांधी ने देश को जलती भट्टी में डाल दिया। उन्होंने प्रेस की आजादी छीन ली गई व नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए।उस दौरान पुलिसिया प्रताड़ना चरम सीमा पार कर दी गई थी।उन्होंने ने कहा की लोकतंत्र के चारों स्तंभ चाहे वह न्यायपालिका हो या फिर मीडिया सभी का दमन किया गया था।आपातकाल के 21 महीने भारत के लोगों ने इमरजेंसी झेली थी।संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की गई थी।स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था।