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विश्‍व ऊँट दिवस पर एनआरसीसी में ऊँटों की वैश्विक उपयोगिता पर सारगर्भित विचार विमर्श

बीकानेर से डॉ राम दयाल भाटी

 

 

 

बीकानेर, 22 जून 2025। भा कृ अनु प–राष्‍ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एन आर सी सी), बीकानेर में विश्‍व ऊँट दिवस के उपलक्ष्य में ‘‘ऊँट पालन व्यवसाय : चुनौतियाँ और अवसर’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। देशभर के विशेषज्ञों ने ऊँटों की भारत एवं वैश्विक स्तर पर उपयोगिता और संभावनाओं पर गहन चर्चा की।

केन्द्र के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने वर्तमान में उष्ट्र पालन की समस्याओं का जिक्र करते हुए उष्ट्र पालन में निहित संभावनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया। ऊँट को ‘प्राकृतिक औषधालय’ बताते हुए इसके औषधीय दुग्ध, बाल, हड्डी, चमड़ा व पर्यटन आदि बहुआयामी उपयोगों पर प्रकाश डाला। उन्होंने तकनीक, अनुसंधान, स्टार्टअप्स, विपणन, नीति निर्माण व जनजागरूकता के माध्यम से ऊँट पालन को नया आयाम देने की बात कही। आयोजन सचिव डॉ. राकेश रंजन ने बताया कि वर्तमान में विश्व में उष्ट्र दूध का बाजार करीब 14.30 बिलियन यू. एस. डॉलर का है जो सन् 2030 तक बढ़कर 24.02 बिलियन यू. एस. डॉलर हो जाएगी । इस क्षेत्र में विकास दर करीब 9.4 प्रतिशत रहने की संभावना है जबकि बकरी के दूध के व्‍यापार में यह विकास दर कुल 4.7 % ही रहेगी। अतः हमें भी ऊँटनी के दूध को वैश्विक बाजार तक पहुँचाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता व पूर्व निदेशक डॉ. आर.के. सावल ने कहा कि जहाँ विश्व में ऊँटों की संख्या बढ़ रही है, वहीं भारत में यह चिंताजनक रूप से घट रही है। उन्होंने बताया कि विश्‍व में सर्वाधिक उष्ट्र चमड़ा भारत आयात करता है जबकि भारत उष्ट्र चमड़े से बनी वस्तुओं का सबसे बड़ा निर्यातक है, जो देश की पारंपरिक कारीगरी की कुशलता का प्रमाण है। ऊँटनी के औषधीय दुग्ध, लम्बे दुग्धकाल और वैश्विक मांग को देखते हुए उन्होंने इसे ‘डेयरी पशु’ के रूप में बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।

विशिष्ट अतिथि डॉ. जगदीश राणे, निदेशक, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर ने ऊँटनी के दूध से बने मूल्य संवर्धित उत्पादों को वैश्विक बाज़ार में वैज्ञानिक रणनीति के साथ लाने की आवश्यकता जताई। इस अवसर पर ‘फोग’ नामक विस्तार पत्रक का विमोचन किया गया। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं पूर्व निदेशक डॉ. समर कुमार घोरुई ने पशु पालकों को नई-नई तकनीकों एवं अवसरों को जानकारी देकर उन्हें उष्ट्र पालन हेतु प्रोत्साहित करने की आवश्यकता जताई । कार्यक्रम के अंत में डॉ. सागर खुलापे ने आभार ज्ञापित किया और डॉ. विश्व रंजन उपाध्याय ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के श्री नेमीचंद बारासा ने किया।

Dr Ram Dayal Bhati

Editor Rajasthan Mobile Number 97848 14914

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