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सीएमओ के आदेश को नही मानते कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी
सीएमओ के आदेश को बेमतलब समझते है अरुन शाही -अपनी कमियां छिपाने हेतु जिले मे संचालित पैथोलॉजी मेडिकल सेंट्रो की नही दे रहे जानकरी -सीएमओ डॉ राजीव निगम के आदशों की धज्जिया उड़ा दी अरुन शाही

ब्यूरो चीफ सचिन कुमार कसौधन
बस्ती – जिले में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजीव निगम के सीधे निर्देश और व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बावजूद विभागीय अरुन शाही जिले में रजिस्टर्ड पैथोलॉजी संचालित सेंटरों की सूची देने के बजाय अपनी मजबूरी बता रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, पत्रकारों द्वारा बार-बार कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद अरुण शाही का एक ही रटा-रटाया जवाब है—”अभी सूची तैयार नहीं है।” सवाल उठ रहा है कि अगर जिला अधिकारी रबीश गुप्ता निरीक्षण के दौरान जिले में साचालित मेडिकल सेटर व पैथालाजी की रजिस्टर जांच करना चाहे तो डीएम साहब केसे करेंगे रजिस्टर की जांच केसे करेंगे हेरान करने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग से संबंधित संचालित पैथालाजी की जानकरी उनके रजिस्टर में कब दर्ज होगा
सवाल खड़ा हो रहा कि कही इन्हीं के संरक्षण में तो फल-फूल रहा है फर्जी पैथोलॉजी सेंटर? जिले में जिस तरह से बिना मान्यता और जांच के पैथोलॉजी व अल्ट्रासाउंड सेंटरों की भरमार हो चुकी है, उससे ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये सेंटर सरकारी संरक्षण में ही जनता का खून चूस रहे हैं। आलम यह है कि गांव से लेकर शहर तक, गली-नुक्कड़ पर फर्जी जांच सेंटरों की बाढ़ आ गई है—जैसे आसमान से पत्थर नहीं, पैथोलॉजी सेंटर गिर रहे हों। स्वास्थ्य सेवाओं का मखौल, लूट की खुली छूट कई केंद्र बिना पंजीकरण चल रहे हैं
कोई प्रशिक्षित तकनीशियन नहीं, कोई मापदंड नहीं जांच रिपोर्ट मनमाने ढंग से तैयार, मरीजों की जान से खिलवाड़ जनता को न्याय और जवाबदेही चाहिए अब सवाल उठता है—क्या यह पूरे विभाग की मिलीभगत नहीं है?क्यों नहीं तैयार हो रही सूची? किन-किन प्रभावशाली लोगों के दबाव में हो रही है यह ढिलाई?
बस्ती की जनता, पत्रकार और जनप्रतिनिधि अब इस घोटाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यदि शीघ्र ही फर्जी जांच सेंटरों पर लगाम नहीं लगी, तो यह सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि विश्वास का गंभीर ह्रास होगा।