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एंबुलेंस से तस्करी के इस खेल को लगाम नहीं लगाई तो वास्तव में जान से हाथ धोना पड़ जाएगा लोगों को

आखिर तस्करों के आगे पुलिस प्रशासन इतना मजबूर और बेबस क्यों पड़े ये खास खबर नीमच से*अजय जगदीश चंद्र चौधरी, अजेय योद्धा* की कलम से,

 

*नीमच। नीमच में इन दिनों तस्करों के खूर इतने अधिक बड़े हुए हैं कि वह नई-नई स्कीम लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं फिर चाहे वह स्कीम मानव जीवन से ही क्यों ना जुड़ी हो। किसी भी घटना, दुर्घटना या बीमारी की गंभीरतम स्थिति के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली एंबुलेंस को ही तस्करों ने अपने नापाक मनसूबों को पूरा करने का साधन बना दिया है।*

*पिछले दिनों कंजार्डा क्षेत्र में पुलिस ने एंबुलेंस का प्रयोग करते हुए तस्करी को अंजाम देते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। यह स्पष्ट है की तस्करी के इस बड़े खेल में केवल कुछ लोग ही नहीं बल्कि पूरा गिरोह शामिल होगा। ये लोग एक एंबुलेंस में नहीं बल्कि कई एंबुलेंसो से विभिन्न शहरों में अफीम व अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी कर रहे होंगे। इस सत्य से किनारा नहीं किया जा सकता कि एक बड़ा सिंडिकेट इस घटना को अंजाम दे रहा है, जिसमें चिकित्सा से जुड़े डॉक्टर और अन्य सफेद पोश भी महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे।लेकिन विडंबना है कि नीमच का चाक चौबंद पुलिस प्रशासन इन वास्तविक तस्करों तक नहीं पहुंच पा रहा है।*

*यह स्पष्ट है कि जब भी एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ती है तो कई सारे दिलो की धड़कन बढ़ जाती हैं, लोग दुआओं में हाथ खड़े कर देते हैं और दुआ मांगते हैं कि एंबुलेंस में जो भी हो उसके साथ कुछ गलत ना हो उन्हें समय पर इलाज मिल जाए और उनका जीवन बच जाए। लेकिन अगर उन्ही एंबुलेंस में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी होने लगे तो पुलिस अपना कर्तव्य निभाकर उसकी जांच करें या मानव जीवन को बचाने के लिए उन्हें खुला छोड़ दें, ऐसी स्थिति में अराजकता बढ़ेगी और अपराधी कानून और समाज को ठेंगा दिखलाकर अपनी चालाकी पर इतराएंगे।*

*इसलिए आवश्यकता है कि पुलिस प्रशासन प्राथमिकता के आधार पर पहले यह उद्घाटित करें कि आखिर कौन है वे लोग जो समाज में सम्मानजनक स्थिति में होने के बावजूद भी तस्करी जैसे गलीच कार्यों में लिप्त है, कंजार्डा का यह मामला पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।*

*नीमच पुलिस प्रशासन को चाहिए कि ऐसे जहरीले, मानवता के लिए अभिशाप, मानव रूपी पशुओं को समाज के बीच उद्घाटित करें जिससे समाज इन्हें पहचान कर सामाजिक स्तर पर इनका बहिष्कार कर सके, साथ ही दूसरे अपराधी भी भयभीत हो और इस प्रकार मानव जीवन से खिलवाड़ करने वालों को सजा मिल सके।*

*वैसे यह कार्य तो पुलिस का है लेकिन कर्तव्य के इस पथ पर पत्रकारों की भी अपनी भूमिका है अगर पुलिस अपनी भूमिका नहीं निभाएगी तो पत्रकारों को आगे आना ही होगा।*।

ब्यूरो रिपोर्ट,, दशरथ माली चचोर

Ajimulla Khan

Beauro chif District Neemuch

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