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सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ बहुजन संगठनों ने किया विशाल प्रदर्शन – सरकार से की आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग 

ब्यूरो चीफ सतीश कुमार महेंद्रगढ़ हरियाणा

 

आरक्षण में जाति तो सभी को दिखाई देती है, परंतु जाति के कारण भेदभाव व दुर्भावना से हो रहे शोषण, छुआछूत, जुल्म व अत्याचार किसी को दिखाई नहीं देते

करणी सेना, ब्राह्मण, जाट व ओबीसी समाज के साथ साथ राजस्थान में बीजेपी ने किया विरोध प्रदर्शन का समर्थन

फैसले को निरस्त कर 9वीं अनुसूची में शामिल करने, कालिजियम बंद कर न्यायायिक आयोग का गठन, रोस्टर प्रणाली दुरुस्त करने, प्राईवेट सैक्टर में आरक्षण लागू करने, ईडब्ल्यूएस में आरक्षण देने, बैकलॉग पूरा करने व ठेकेदारी सिस्टम बंद करने का है मामला

नारनौल 21 अगस्त आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूचि में शामिल करने व अनुसूचित जाति वर्ग की आरक्षण से सम्बन्धित विभिन्न मांगों को लागू करने के संवेदनशील मामले में बहुजन समाज के विभिन्न संगठनों द्वारा बुधवार को सुभाष पार्क में हजारों की तादाद में एकत्रित होकर संयोजक हरि सिंह बड़कोदिया की अध्यक्षता में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम उपायुक्त के प्रतिनिधि एसडीएम जितेंद्र सिंह को ज्ञापन सौंपा गया। विशाल प्रदर्शन का संचालन करते हुए संघर्ष समिति के महासचिव एवं कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के प्रमुख सलाहकार बिरदी चंद गोठवाल ने बताया कि सर्वाेच्च न्यायालय का निर्णय असंवैधानिक और दलित विरोधी है । संविधान प्रदत्त आरक्षण आर्थिक आधार पर नहीं है, बल्कि यह जातीय, असमानता व छुआछूत की वजह से है क्योंकि आमजन को आरक्षण में जाति तो दिखाई देती है, परंतु जाति के कारण भेदभाव व दुर्भावना से हो रहे शोषण, छुआछूत, अत्याचार व जुल्म किसी को दिखाई नहीं देते। यहां यह गौरतलब है कि निम्नवर्णित बिन्दुओं पर भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग को आरक्षण से हमेशा वंचित किया जाता रहा है जो न्यायसंगत नहीं है । गोठवाल ने बताया कि विभिन्न संगठनों ने न्यायसंगत आधार पर सरकार से आरक्षण से संबन्धित निम्न मांगों को पूर्ण कर प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की मांग की है –

1- भारत सरकार सर्वाेच्च न्यायालय के दिनांक 01 अगस्त, 2024 के असंवैधानिक निर्णय पर अध्यादेश/ संशोधन लाकर निरस्त करे ।

2- आरक्षण को भारत सरकार संविधान की 9वीं अनुसूचि में शामिल कर लागू करे ।

3- संविधान प्रदत्त आरक्षण आर्थिक आधार पर नहीं है, बल्कि यह जातीय, असमानता व छुआछूत की वजह से है । संविधान में एससी/एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमीलेयर का कोई प्रावधान नहीं है । इसलिए भविष्य में रोक लगाने के लिए भारत सरकार आवश्यक कदम उठाए ।

4- देश में उच्च व निम्न स्तर के पदों में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग का बैकलॉग पूरा किया जाए जो आज तक कभी भी पूरा नहीं हुआ है ।

5- कॉलेजियम सिस्टम से जजों की नियुक्तियां करना बंद करे जिसका लाभ केवल कुछ उच्च वर्ग के घरानों को ही मिल रहा है ।

6- न्यायपालिका में

निष्पक्ष व पारदर्शिता के लिए भारत सरकार आईएएस/आईपीएस की भांति भारतीय न्यायायिक सेवा आयोग का गठन करके अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए भी संवैधानिक आरक्षण का प्रावधान किया जाए।

7- ईडब्ल्यूएस नीति में एससी/एसटी को आरक्षण के लाभ से वंचित करना अनुच्छेद-14 के खिलाफ है । अतः इसमें भी आरक्षण का प्रावधान किया जाए ।

8- भर्तियों में ठेकेदारी सिस्टम बंद करके उचित आरक्षण के अनुसार नियमित भर्तियां की जाएं और प्राईवेट सैक्टर की भर्तियों में भी नियमानुसार आरक्षण का प्रावधान किया जाए ।

9- रोस्टर प्रणाली में महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को एक ईकाई माना जाए, ना कि विभाग विशेष को ।

इस विशाल प्रदर्शन में संयोजक हरि सिंह बड़कोदिया, अखिल भारतीय आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष लालाराम नाहर, सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान, गुरु रविदास महासभा के प्रधान बलबीरसिंह बबेरवाल, हरियाणा आवाज फाउंडेशन के डॉ शिवताज सिंह, अजा कर्मचारी कल्याण संघ के प्रधान राजपाल गौरा व पूर्व प्रधान जय नारायण, हरियाणा प्रदेश चमार महासभा के प्रधान अनिल फाण्डन, डॉ अम्बेडकर स्मारक समिति के सुरेश सिरोहा, अंबेडकर जन जाग्रति मंच के प्रधान जसवंत भाटी, भारतीय सामाजिक परिवर्तन संघ के सचिव सुमेर सिंह गोठवाल, हरियाणा प्रदेश लेखा सचिव रामकुमार ढ़ैणवाल, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के प्रधान पूर्ण चंद, पूर्व प्राचार्य मान सिंह नूनीवाल, श्रेष्ठ फाउंडेशन के सुरेन्द्र अंबेडकर, महल विकास मंच के प्रधान जयसिंह नारनोलिया, एडवोकेट भीम सिंह दहिया व विरेंद्र सिंह, भारतीय बौद्ध महासभा की प्रदेश सचिव आशा पूनिया, प्रधान ओपी दायमा, अंबेडकर युवा समिति के प्रधान अनिल महायच, महासचिव मैनपाल, गुरु रविदास सेवा समिति के प्रधान महावीर महायच, भीम आर्मी के प्रधान नवीन थाना, कनीना के प्रधान राजेन्द्र गोठवाल, अटेली के प्रधान प्रभु दयाल, नांगल चौधरी के प्रधान रोहतास बबेरवाल, सिहमा के हरि सिंह रेवाला, डॉ भीमराव अंबेडकर समिति कनीना के प्रधान केके पूनिया, हरियाणा पावर कारपोरेशन एससी/एसटी/बीसी के मुख्य संगठनकर्ता राजेन्द्र नौताना, भीम आर्मी नौताना के प्रधान अमन, डॉ भीमराव अंबेडकर नवयुवक मंच पटीकरा के प्रधान कंवर सिंह, अशोक, संतगुरु रविदास महासभा के प्रधान नत्थुराम, महासचिव संजय निम्बल, हरियाणा दलित सेना के अध्यक्ष कैलाश जाखड़, डॉ भीमराव अंबेडकर सेवा समिति जोनावास के प्रधान सतीश कुमार, भारत मुक्ति मोर्चा के जगदीश महायच, कबीर सामाजिक उत्थान संस्था के प्यारेलाल चवन, संतगुरु शिरोमणि रविदास महासभा के प्रधान पवन कुमार, इम्पावरमेंट के अध्यक्ष अमर सिंह निम्होरिया, हजरस के प्रधान विजेंद्र चौहान, मजदूर संगठन एटक के प्रधान गजेन्द्र ठेकेदार, पूर्व सरपंच रोशनी देवी, मुख्याध्यापक ज्यंती देवी, प्रेम देवी, सरपंच विकास, प्रवक्ता रमन नाहर, सुनिता मावता, पूर्व सरपंच सतीश, सरपंच संदीप, विक्रम मांडैया, मजदूर यूनियन के अर्जुन भाटी, अंबेडकर महासभा खातोद के हरिसिंह कलोरिया, अंबेडकर सभा पाली के बनवारी लाल, भोजावास के प्रधान एडवोकेट विनोद, संघर्ष समिति के शेर सिंह फौजी, अंबेडकर सभा बचीनी के रविप्रकाश, अंबेडकर सभा बवानिया के बंशीलाल, अंबेडकर सभा बसई के रतन सिंह, चेयरमैन रमेश खिंची, संघर्ष समिति से हरिराम महारानियां, अंबेडकर सभा पड़तल से हंसराज आजाद, एसएलजी अमन फाउंडेशन के चेयरपर्सन सुंदरलाल जोरासिया, अंबेडकर युवा केंद्र के बंता सिंह, युवा समिति लहरोदा से पंकज, पूर्व जिला पार्षद अश्वनी, थानेदार रोहतास, कमांडैंट किशनलाल, सरपंच सूबे सिंह व अन्य अनेक संगठनों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार की भेदभाव से ग्रस्त आरक्षण विरोधी कार्यशैली असंवैधानिक व दलित विरोधी है क्योंकि उच्च व उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, राजदूत, राज्यपाल, सरकार के मलाईदार पदों, सभी विभागों/निगमों व बैंकों के चेयरमैन, यूनिवर्सिटीज के कुलपति व उपकुलपति आदि अनेकों जगह पर भारत सरकार द्वारा आरक्षित वर्ग की हमेशा उपेक्षा की जाती रही है । यहॉ यह भी गौरतलब है कि आरक्षित वर्ग के पदों की सभी सीटें भरने की बजाय कुछ सीटें खाली छोड़ दी जाती रही हैं और उन्हें सोची समझी चाल के तहत बाद में सामान्य वर्ग से भर ली जाती है, परन्तु यहॉ यह खेद का विषय है कि सामान्य वर्ग की आजतक कोई भी सीट खाली नहीं छोड़ी गई । इन अनियमितताओं के सम्बन्ध में आरक्षित वर्ग के युवाओं व विभिन्न संगठनों द्वारा सरकार को समय समय पर अवगत भी कराया जाता रहा है, परन्तु इसके बावजूद भी सरकार भेदभाव से ग्रस्त नीति पर कायम रही है जो न्यायसंगत नहीं है । सभी बहुजन संगठन सरकार की इस भेदभावपूर्ण व अव्यवहारिक कार्यशैली की घोर निन्दा करते हैं ।

    इस अवसर प्रेम सिरोहा, करतार सिंह, रमेश, राजेन्द्र जलवान, सेडूराम, विजय सिरोहा, सरपंच सतीश, मुख्याध्यापक सूरत सिंह, हरिराम सिरोहा, हजारीलाल खटावला, सर्कल सचिव महेश गोमला, रामभरोस भीम, कंवर सिंह, संतलाल,

जितेन्द्र निम्बल, बाबूलाल नारनोलिया, जगदीश, सत्यदेव प्राचार्य, रामसिंह जोईया, मदनलाल डाडैया, ठेकेदार बाबूलाल, बलजीत, कृष्ण, बलबीर, कमल, रामजीलाल, सुभाष चन्द, राजू नंबरदार, दयानंद, अरूण, प्रवीण, महेश नारनोलिया, बद्री पूनिया, सुमन देवी, पन्नी राम रेवाला, बृजलाल, रत्न लाल, जोरावर सिंह, मानसिंह, जसवंत, नवीन कुमार, मुकेश लामा, जेई वेदप्रकाश, सत्यपाल, दलीप व राजेश, फोरमैन लखनलाल, बाबूलाल मुण्डियाखेडा, मुकेश बौद्ध, पूर्ण, गुगन सिरोहा, धर्मपाल, हंसराज, ज्ञान चंद बागोतिया व अन्य हजारों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Satish Kumar

Beauro Chief Mahendragarh Haryana

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