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आर्या परियोजना के अंतर्गत सात दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण का सफल समापन

बस्ती से वेदान्त सिंह
बस्ती, 22 दिसम्बर 2025 (सू.वि.)
आचार्य नरेंद्र कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज (अयोध्या) द्वारा संचालित एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कानपुर द्वारा वित्त पोषित कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती के तत्वावधान में आर्या (ARYA – Attracting and Retaining Youth in Agriculture) परियोजना के अंतर्गत आयोजित सात दिवसीय मधुमक्खी पालन विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ।
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कम लागत, लाभकारी एवं स्वरोजगारोन्मुख उद्यम के रूप में मधुमक्खी पालन से जोड़ना तथा वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बनाना रहा। कार्यक्रम में जनपद बस्ती के विभिन्न विकासखंडों से आए 25 युवाओं एवं कृषकों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
समापन दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में उप निदेशक कृषि, बस्ती अशोक कुमार गौतम उपस्थित रहे। प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने मधुमक्खी पालन के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। इसमें मधुमक्खियों की प्रमुख प्रजातियाँ, मधुमक्खी बक्सों की स्थापना, कॉलोनी प्रबंधन, रानी मधुमक्खी का महत्व, शहद उत्पादन की वैज्ञानिक विधियाँ, मोम एवं अन्य उप-उत्पादों का संग्रह, रोग एवं कीट प्रबंधन, शहद की गुणवत्ता, पैकेजिंग एवं विपणन से संबंधित जानकारियाँ शामिल रहीं।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. पी.के. मिश्रा ने बताया कि मधुमक्खी पालन से कृषकों एवं युवाओं को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलता है, साथ ही फसलों में परागण बढ़ने से उत्पादन एवं गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ. राज मंगल चौधरी ने व्यावहारिक प्रदर्शन के माध्यम से मधुमक्खी बक्सों का निरीक्षण, शहद निष्कर्षण, उपकरणों के उपयोग तथा माइग्रेशन (स्थानांतरण) के महत्व की जानकारी दी।
प्रशिक्षण कोर्स समन्वयक एवं फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. प्रेम शंकर ने मधुमक्खी पालन को युवाओं के लिए सशक्त स्वरोजगार विकल्प बताया और आधुनिक बॉक्स प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण एवं बाजार से जुड़ाव की सरल तकनीकों पर प्रकाश डाला। वैज्ञानिक डॉ. वी.बी. सिंह ने समापन सत्र में प्रतिभागियों के अनुभव साझा कराए, जिसमें प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी, व्यवहारिक एवं रोजगारपरक बताया गया।
गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. अंजलि वर्मा ने शहद के पोषक एवं औषधीय गुणों पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं के लिए मूल्य संवर्धन द्वारा आत्मनिर्भरता की संभावनाएँ बताईं। शस्य विज्ञान वैज्ञानिक हरिओम मिश्रा ने मधुमक्खी पालन को कृषि के साथ जोड़कर आय बढ़ाने का प्रभावी साधन बताया।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र तथा फल-सब्जी पौधों का वितरण किया गया। कृषि प्रसार वैज्ञानिक आर.बी. सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि आर्या परियोजना के अंतर्गत इस प्रकार के प्रशिक्षण ग्रामीण युवाओं को कृषि आधारित उद्यमिता की दिशा में प्रेरित कर आय एवं रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगे।

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