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मांघा का माजरा में हरिओम चौधरी बने नि:स्वार्थ सेवा की मिसाल

 *जो कार्य सरपंच व जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए था, वह हरिओम चौधरी व युवा छात्रों ने कर दिखाया* 

 

जयबीर सिंह | ब्यूरो रिपोर्ट

मांघा का माजरा (अलवर)

गांव मांघा का माजरा में नि:स्वार्थ सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी का अनुकरणीय उदाहरण सामने आया है। गांव के ग्राउंड की वर्षों से उपेक्षित पड़ी गंदगी को साफ करने का जिम्मा जहां जनप्रतिनिधियों पर होना चाहिए था, वहीं यह कार्य हरिओम चौधरी और गांव के युवा छात्रों ने अपने कंधों पर उठाया।

हरिओम चौधरी ने बिना किसी दिखावे और स्वार्थ के, करीब एक घंटे तक लगातार श्रमदान कर ग्राउंड को साफ-सुथरा किया। लंबे समय से फैली गंदगी, कचरा और अव्यवस्था को हटाकर ग्राउंड को दोबारा उपयोग योग्य बनाया गया। इस सेवा कार्य में केवल गांव के प्रति कर्तव्य भावना और स्वच्छता का संदेश ही प्रमुख रहा।

ग्रामीणों ने हरिओम चौधरी के इस कार्य की खुले दिल से सराहना की और कहा कि ऐसे नि:स्वार्थ लोग ही समाज में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि इसी तरह गांव का हर नागरिक आगे आए, तो मांघा का माजरा निश्चित ही एक आदर्श और स्वच्छ गांव बन सकता है।

इस पहल से अन्य युवाओं में भी जागरूकता बढ़ी है और भविष्य में सामूहिक सफाई अभियान चलाने की योजना पर भी चर्चा की जा रही है।

Viyasmani Tripaathi

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