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विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित हुआ ब्रह्माकुमारी संस्था में कार्यक्रम

ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग
बालोतरा
विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपर जिला न्यायाधीश सिद्धार्थदीप जी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में सिखाया जाने वाला राजयोग ध्यान भारतीय सनातन संस्कृति की अद्वितीय मिसाल है। उन्होंने बताया कि आज यह संस्था 140 से अधिक देशों में सनातन संस्कृति का परचम फैला रहा है। ब्रह्मा कुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका स्वर्गीय दादी जानकी जी के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय एक ऐसी संस्था है जहां मानव जीवन के विचारों को श्रेष्ठ दिशा मिलती है। ध्यान केवल एक साधन नहीं फल की जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मानसिक और शारीरिक समस्याओं के समाधान में मदद करता है।उन्होंने सभी को राजयोग ध्यान से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व ध्यान दिवस की बधाई भी दी।
बालोतरा सेवा केंद्र प्रभारी उमा दीदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया है, जिससे योग और ध्यान के अंतर को समझने का अवसर मिलता है और यह मानवता की सेवा हेतु एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल ध्यान के महत्व को पहचानने और इसे दैनिक जीवन में स्थापित करने पर केंद्रित है। ध्यान का अभ्यास न केवल व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि समाज और समुदाय में भी शांति, सद्भाव और संतुलन को प्रोत्साहित करता है।
उन्होंने कहा योग प्राणायाम शारीरिक क्रियाएं हैं, जबकि ध्यान मानसिक क्रिया है। आज बाह्य दुनिया की समझ तो है पर स्वयं का सत्य आध्यात्मिक परिचय कम है। मेडिटेशन आत्मा और परमात्मा को जोड़ता है; परमात्मा की याद में कर्म श्रेष्ठ बनते हैं। ध्यान मन को आंतरिक‑शांति और स्थिरता देता है, जिससे मानव जीवन संतुलित व संतुष्ट बनता है। फ्रांस के ब्रह्मा कुमार भ्राता जिन इस कार्यक्रम नमें पहुंचकर कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय बना दिया। उन्होंने बताया मेडिटेशन से ऊर्जा बहुत बढ़ जाती है जीवन के कैसे भी परिस्थिति में खुशहाल रहने की शक्ति प्राप्त होती है । उन्होंने अपने जीवन के बहुत सुंदर अनुभव भी साझा किया।
पचपदरा सेवा केंद्र प्रभारी अस्मिता दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की विधि का पावरप्वाइंट प्रस्तुति से विस्तार से परिचय कराया। उन्होंने बताया कि ध्यान चिंता, दर्द, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों में भी राहत प्रदान कर सकता है। यह एकाग्रता बढ़ाने, मनोबल मजबूत करने और जीवन को व्यसनों तथा आपराधिक प्रवृत्तियों से मुक्त करने में सहायक है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ परमात्मा ज्योति से आत्म ज्योति को जोड़ने के शुभ संकल्प के साथ दीप प्रज्ज्वलन से किया गया।
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी ओम बांठिया ने कहा कि ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। नियमित ध्यान से बुद्धि तेज, केंद्रित होती है; स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अग्रणी कार्यवाह सुरंगी लाल सालेचा ने बताया कि ध्यान आत्मा को शुद्ध करने और उच्चतम सत्य को समझने का साधन है इससे कर्म में कुशलता बढ़ती है।
कार्यक्रम में माउंट आबू से पधारे नेचुरोपैथी डॉक्टर नरेश अग्रवाल,पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष पारसमल भंडारी, रोटरी पूर्व अध्यक्ष कैलाश गर्ग, महावीर इंटरनेशनल अध्यक्ष जवाहरलाल हुंडिया, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष प्रभा सिंघवी, पेंशनर समाज कार्यकर्ता पुखराजजी खारवाल, महिला मंडल, इनर व्हील क्लब के सुमित्रा खत्री, चित्रा दवे, प्रदीप पवार, संतोष माली, मदन मेहता, डॉ महेंद्र, सुरेन्द्र,गणपत पालीवाल, सीमा भाटी सहित अनेक समाजसेवी और कन्या मान्य नागरिकों ने उमंग और उत्साह के साथ भाग लिया। सभी ने जीवन को ध्यान की विधि से जुड़कर विश्व शांति के लिए दृढ़ संकल्प किया तथा मेडिटेशन को वर्तमान समय की आवश्यकता बताते हुए सभी ने कार्यक्रम की भूरि‑भूरि प्रशंसा की ।

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