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हत्या के मामले में 14 साल बाद फैसला, दो आरोपियों को उम्रकैद
अपर जिला एवं सेशन न्यायालय तिजारा का निर्णय, ₹50 हजार का अर्थदंड भी लगाया

ब्यूरो चीफ मुकेश कुमार शर्मा
तिजारा।
करीब 14 वर्ष पुराने बहुचर्चित हत्या के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा ने अहम फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को आजीवन सश्रम कारावास एवं ₹50 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अपर लोक अभियोजक विनय पाल यादव ने बताया कि इस संबंध में परिवादी नितिन यादव पुत्र रामकुमार, निवासी वार्ड नंबर 8 कस्बा तिजारा ने दिनांक 25 अप्रैल 2011 को थाना तिजारा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि उसके चाचा राज पुत्र हुकम जाति अहीर, बाजार से सरसों बेचकर ऊंटगाड़ी से घर लौट रहे थे। उनके पास करीब 37 हजार रुपये नकद थे। शमशान घाट के पास पहले से घात लगाए बैठे आरोपियों ने रास्ता रोककर फरसी, लाठी एवं बंदूक से हमला किया। इस दौरान राज के पैर में गोली मार दी गई और लाठी-फरसी से गंभीर चोटें पहुंचाईं। गंभीर अवस्था में उन्हें अलवर रैफर किया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। घटना के बाद आरोपियों द्वारा पूरे परिवार को जान से मारने की धमकियां भी दी गईं।
पुलिस ने मामले में अनुसंधान कर आरोपी सुबेसिंह पुत्र रामकिशोर, शेर सिंह उर्फ लाला पुत्र रामकिशोर, मनु पुत्र सुबेसिंह एवं हैप्पी यादव पुत्र वीरेंद्र के विरुद्ध धारा 302, 323, 341 एवं 34 आईपीसी में आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। न्यायालय में विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 29 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए तथा 48 दस्तावेज प्रदर्शित किए गए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात न्यायालय ने आरोपी सुबेसिंह एवं मनु यादव को दोषी मानते हुए आजीवन सश्रम कारावास एवं ₹50 हजार के अर्थदंड से दंडित किया। वहीं आरोपी शेर सिंह को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया गया। राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक विनय पाल यादव तथा परिवादी की ओर से हरिओम शर्मा ने प्रभावी पैरवी की।
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