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सौंदर्य ही नहीं स्वास्थ्य के रक्षक है यह गहने

बस्ती से वेदान्त सिंह
विभिन्न आभूषण, गहने सौंदर्य को ही नहीं निखारते, बल्कि स्त्री के तन-मन को भी प्रभावित करते हैं। अपने शरीर को सुंदर, सुडौल, आकर्षक व स्वस्थ रखने के लिए महिलाओं द्वारा आभूषणों को धारण किया जाना मात्र फैशन ही नहीं है, बल्कि उनके तन-मन की शोधपरक वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तथा जैविक जरूरत भी है। आभूषण नारी का अलंकार-श्रृंगार ही नहीं हैं, उसके नैसर्गिक नारी-सुलभ व्यवहार को भी प्रतिबिंबित करने में सहायक होते हैं।
नाक में आभूषण धारण करने से फेफड़ों में पहुंचने वाली वायु शुद्ध होती है। शुद्ध वायु से अशुद्ध रक्त की पूरी तरह शुद्धि हो जाती है। यह रक्त हृदय के माध्यम से अंग-अंग में पहुंचकर रूप-सौंदर्य और नारी-सुलभ गुणों को निखारता है।
नाक का मस्तिष्क से सीधा संबंध है, इससे ज्ञान-तंतुओं का पोषण होता है।
लौंग और नथ पेट व पाचन क्रिया को दुरुस्त करते हैं।
बुलाक ब्लैडर, यूटेरस और बाह्य जननांगों को सही आकार-प्रकार में बनाए रखते हैं।
कान में आभूषण धारण करने से वायु कान में प्रवेश होने से श्रवण (सुनने वाली) इंद्रियों को बल मिलता है, श्वासनलिका शुद्ध होती है, आंखों की रोशनी सलामत रहती है। कान छेदे जाने से गला व जीभ स्वस्थ रहती है। झुमके पहनने से कान के ऊपर दबाव पड़ता है, जिससे ब्लैडर और वेजाइनल ट्यूब स्वस्थ रहते हैं तथा पेशाब संबंधी तकलीफें दूर होती हैं।
हाथों, कलाइयों में आभूषण धारण करने से ये हमेशा आंखों के सामने रहने के कारण आंखों की ज्योति को पुष्ट करते हैं और प्रदाह (जलन) को शांत करके कांति में वृद्धि करते हैं।
छल्ले, चूड़ियां, और कड़े-छड़े दिल, सांस, गला, गरदन, मस्तिष्क, यूटेरस, योनि, कमर, कमर के निचले भाग, कूल्हे, ओवरी आदि को स्वस्थ रखते हैं।
शंख की चूड़ियां शरीर में कैल्शियम की कमी व पित्तजन्य बीमारियों को दूर करने में सहायक होती हैं।
मस्तिष्क का टीका मन को शांत, सहज, संतुलित व स्वस्थ रखता है।
भौंह और बालों के बीच में माथे पर बिंदी लगाने से गले की आवाज मधुर-मादक बनी रहती है। दोनों भौंहों के बीच हैं, बिंदी चिपकाने से फेफडों को शक्ति मिलती है तथा शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है।
सिंदूर महिलाओं के सौभाग्यवती होने का मांगलिक सूचक आभूषण है। यह नारी के लिए सबसे बड़ा और सबसे कीमती श्रृंगार है, आभूषण है। सिंदूर मस्तिष्क को शांत व शीतल रखता है, पथभ्रष्ट होने से बचाता है, सतीत्व की रक्षा करता है, नारीत्व की गरिमा को बनाए रखता है।
मस्तिष्क पर धारण किए गए आभूषण बालों की वृद्धि व पोषण हेतु विशेष रूप से उपयोगी होते हैं।
आंखों में लगाया गया काजल पैरों की उंगलियों व कमर दर्द में आराम पहुंचाता है, स्त्रियों में
पीरियड्स नियमित होते हैं तथा यह ब्रेस्ट और आंखों की ज्योति के लिए भी लाभदायी है।
गरदन में धारण किए हुए आभूषण त्वचा से चिपके रहने के कारण स्वेद (पसीना) ग्रंथियों को शुद्ध करते हैं।
हार, मंगलसूत्र, माला, पेंडेंट, लॉकेट आदि कपड़ों के अंदर स्तनों के एक्युप्रेशर बिंदुओं पर असर डालते हैं, जिससे चेहरे पर नारी-सुलभ निखार आता है। ये बिंदु अनजाने में विवाह के बाद कृत्रिम तरीकों से दबाए जाते हैं, जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से चेहरे पर व परता है। इन स्पर्श से शरीर में शीतलता बढ़ती है।
कमर में पहने जाने वाले करधनी, तगड़ी, पेट, योनिपथ, रीढ़ की हड्डी को आराम पहुंचाते हैं।
गले में पहनी जाने वाली हंसुली पैर के तलवों की जलन दूर करती है और चेहरे के हाव-भाव को निखारकर विशेष चमक पैदा करती है।
बालों में लगाए जाने वाले गजरा, वेणी से शरीर शीतल रहता है, फोड़े-फुंसी परेशान नहीं करते, शरीर पर टॉक्सिन का प्रभाव कम होता है, मोटापा कम होता है, रक्त विकार दूर होते हैं और मन प्रसन्न रहता है।
बालों में गुलाब, बेला, चंपा, चमेली के फूलों के प्रयोग से हृदय प्रेम से भरा होता है।
उंगलियों में सोने की अंगूठियां पहनने से विषों का प्रभाव शरीर पर जल्दी नहीं होता।
छोटी उंगली में अंगूठी पहनने से शरीर में ऊर्जा पैदा होती है। इससे दिल, गरदन, कान, रीढ़ की हड्डियां स्वस्थ रहती हैं।
रिंग फिंगर में अंगूठी पहनने से कान, तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, फेफड़ों को शक्ति मिलती है तथा साइटिका में आराम मिलता है।
बीच की उंगली (मध्यमा) में सोने के आभूषण धारण करने से गला, तंत्रिका तंत्र, हृदय, आंखें आदि
अंग-अवयव स्वस्थ रहते हैं तथा जुकाम व बुखार में लाभ मिलता है।
अंगूठे के बगल वाली उंगली (तर्जनी) में अंगूठी पहनने से सर्दी-जुकाम से बचाव होता है, नर्वस सिस्टम स्वस्थ रहता है तथा चेहरा सुंदर होता है।
अंगूठे का छल्ला दिमाग, हार्मोस, फेफड़ा, गला आदि को स्वस्थ रखता है।
पैरों की उंगलियों में पहने गए आभूषण महिलाओं के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखते हैं।
पैर की छोटी उंगली में धारण किए गए आभूषण (बिछिया) से रीढ़ की हड्डी, कान, दांत, जबड़े की हड्डी और पिंडलियों के दर्द में आराम मिलता है। यहां एक जबरदस्त हार्मोनल बिंदु है, जो नाखून के पास अंदर की तरफ किनारे की ओर होता है। इसे दबाने से एबॉर्शन भी हो सकता है।
महिलाओं को ऐसी सैंडिल नहीं पहननी चाहिए, जिसे पहनने से नाखून में किसी प्रकार का दबाव आए, अन्यथा गर्भपात भी हो जाने का खतरा बराबर बना रहता है।
पैर की छोटी उंगली के बराबर की उंगली में धारण किया गया आभूषण दांतों के लिए फायदेमंद है तथा जबड़े की हड्डी व ऊपर की लिम्फेटिक्स में आराम पहुंचाता है।
महर्षि कश्यप का कहना है कि स्त्रियों को किसी-न-किसी प्रकार, किसी-न-किसी तरह के सोने-चांदी के गहने जरूर पहनने चाहिए और सौभाग्यवती स्त्रियों को शरीर पर लाल-गुलाबी वस्त्र अवश्य धारण करने चाहिए। एक महत्वपूर्ण बात और, लज्जा स्त्री का सबसे कीमती अलंकार है, जिसके अभाव में बाकी सारे आभूषण व्यर्थ हैं।
*डॉ अर्चना दुबे*, अध्यक्ष
अखंड एक्यूप्रेशर रिसर्च ट्रेंनिंग एंड ट्रीटमेंट इंस्टीट्यूट, प्रयागराज
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मेरे चैनल है-
*अर्चना दुबे एक्यूप्रेशर*
*अर्चना दुबे हेल्थ लैब*

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