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अमर हुतात्मा राजगुरु की जयंती पर किया यज्ञ, गौसेवा से राष्ट्ररक्षा पर चर्चा

बस्ती 24अगस्त।

आर्य समाज नई बाजार बस्ती के साप्ताहिक सत्संग में आज अमर हुतात्मा राजगुरु की 118वीं जयंती के अवसर पर वैदिक यज्ञ करते हुए उनके प्रेरक जीवन को याद किया गया। इस अवसर पर *गोरक्षा से राष्ट्र रक्षा* विषयक परिचर्चा हुई जिसमें विचारों का आदान प्रदान करते हुए प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने कहा कि गोरक्षा, गोपालन वा गोसेवा रुपी गोपूजा के बिना मनुष्य जाति का दीर्घकाल तक अस्तित्व सुरक्षित नहीं रह सकता। योगेश्वर कृष्ण स्वयं गोपालक थे। उनमें वीरता, धीरता, साहस और बल का कारण उनका गोपालन एवं गोमाता से प्राप्त दुग्ध, मक्खन, घृत आदि पदार्थों का सेवन भी माना जा सकता है। वेदों में गो को अवध्य बताया गया है। गाय से हमें ईधन व खाद के रुप में गोबर भी प्राप्त होता है।आर्थिक दृष्टि से एक गाय से प्राप्त होने वाला गोमूत्र एवं गोबर सहस्रों रुपये प्रतिमाह का होता है। गरुण ध्वज पाण्डेय ने कहा कि यज्ञ का प्रमुख अवयव व पदार्थ गोघृत होता है। यह घृत वायु को सुगन्धित करने वाला तथा वायु के सभी दोषों व प्रदुषण को दूर करने वाला होता है। रोग आदि से हानि पहुंचाने वाले सूक्ष्म किटाणु भी यज्ञधूम से निष्क्रिय होते हैं। मनुष्य की बुद्धि तीव्र होती है तथा यज्ञ करने से आरोग्य की प्राप्ति व मनुष्य का यश व बल भी बढ़ता है। आचार्य देवव्रत ने कहा कि यज्ञ के अनुष्ठान के लिये भी गोपालन तथा गोसंरक्षण की अतीव आवश्यकता है। यज्ञ करने वाले यजमानों को परमात्मा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उन्हें आत्मसन्तोष एवं आत्मिक सुख वा आनन्द की उपलब्धि परमात्मा के द्वारा होती है। अतः सुख की प्राप्ति व दुःख की निवृत्ति के लिए भी परमात्मा की यज्ञ करने की आज्ञा का पालन करते हुए सबको गोपालन, गोरक्षा, गोसंवर्धन का समर्थन तथा गोहत्या का पुरजोर विरोध करना चाहिये।

श्रीमती नीलम मिश्रा ने बताया कि गाय देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। गाय जितनी अधिक होगीं उतना दूध व दूध के उत्पाद अधिक मात्रा में सस्ते दाम पर सुलभ होंगे। ऋषि दयानन्द ने गणना कर बताया है कि एक गाय की एक पीढ़ी से दूध व बैलों से उत्पन्न अन्न को मिलाकर देखने से निश्चय होता है कि 4,10,440 चार लाख दस हजार चार सौ चालीस मनुष्यों का पालन एक बार के भोजन के बराबर गोदुग्ध से होता है। वह यह भी बताते हैं इसके विपरीत गाय को मार कर खाने से मात्र अस्सी मांसाहारी मनुष्य एक बार में तृप्त हो सकते हैं। अन्त में नवल किशोर चौधरी ने बताया कि गाय की रक्षा राष्ट्र की रक्षा है और गो की हत्या राष्ट्र की हत्या है। इसे हमें समझना है। इस अवसर पर नितीश कुमार, श्याम चंद्र, रजनीश, विश्वनाथ आर्य, उपेन्द्र शर्मा, राजेश्वरी, रिमझिम, दृष्टि, राधा, शुभम गुप्ता, शेखर श्रीवास्तव, श्रेयांश श्रीवास्तव, पुनीत राज, परी, दिव्यांश आदि सम्मिलित रहे।

गरुण ध्वज पाण्डेय

Viyasmani Tripathi

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