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स्वाध्याय से ही होगा आत्मिक विकास-ओम प्रकाश आर्य

 बस्ती 17अगस्त।

आर्य समाज नई बाजार बस्ती में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में यज्ञ करते हुए लोगों ने योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्म दिवस के बाद वैदिक यज्ञ कर उनके आदर्शों पर चलने का व्रत लिया। गरुण ध्वज पाण्डेय और देवव्रत आर्य ने लोगों को पंच तत्वों के बारे में बताते हुए कहा कि इनका कर्ज हमारे ऊपर होता है यज्ञ से इन तत्वों को शुद्ध करके हम इस ऋण से मुक्त हो सकते हैं। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने योगेश्वर श्री कृष्ण का सत्य स्वरूप बताते हुए कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण पुण्यात्मा,धर्मात्मा, तपस्वी, त्यागी, योगी, वेदज्ञ, निरहंकारी, कूटनीतिज्ञ, लोकोपकारक आदि अनेक गुणों व विशेषणों से विभूषित थे। वे मानवता के रक्षक, पालक और उद्धारक थे। उनका उद्देश्य था कि धर्मात्माओं की रक्षा हो और पापी, अपराधी, तथा दुष्ट प्रकृति के लोगों का दलन हो।

      संसार के इतिहास में श्रीकृष्ण जैसा निराला विलक्षण,अद्धभुत, अद्वितीय, विश्वबंधुत्व जैसा महापुरुष नहीं मिलेगा। यदि किसी महापुरुष में वेद, दर्शन, योग , अध्यात्म, संगीत, कला, राजनीति, कूटनीति आदि सभी एक स्थान पर देखने है, तो वह अकेले देवपुरूष श्रीकृष्ण है। महाभारत में अनेक विशेषताओं से युक्त अनेक महापुरुष हुए लेकिन सभी का जन्मदिन नहीं मनाया जाता। हजारों वर्षों के बाद भी श्री कृष्ण का जन्म दिन सबको याद है। जो महापुरुष संसार,मानवता, सत्य-धर्म- न्याय और सर्वेभवन्तु: सुखिन: के लिए जीता और मरता है। जहां धर्म है वहां श्रीकृष्ण है और जहां श्रीकृष्ण है वहां निश्चित ही विजय होगी।संसार का दुर्भाग्य है कि श्रीकृष्ण के सत्य स्वरूप जीवन दर्शन के साथ अन्याय व धोखा हो रहा है। पुराणों में श्रीकृष्ण को युवा होने ही नही दिया,बाल लीलाओं में उनका सम्पूर्ण जीवन अंकित व चित्रित होकर रह गया। महाभारत में राधा का नाम कहीं नहीं आता, किन्तु राधा के बिना श्रीकृष्ण की कल्पना ही नही की जा रही है। पुराणों, लोक कथाओं कहानियों में श्रीकृष्ण के चरित्र को कलंकित व विकृत बदनाम करने के लिए राधा का नाम जोड़ा गया। इतिहास में मिलावट की गयी। श्रीकृष्ण पत्नीव्रता थे उनकी धर्म पत्नी रूक्मिणी थीं। आर्य समाज का उदय सत्य के प्रचार – प्रसार और वैदिक धर्म के पुनरूधार के लिए हुआ। आर्य समाज महापुरुषों के उज्जवल,प्रेरक, चारित्रिक, गरिमा की रक्षा का सदा पक्षधर रहा है। आर्य समाज श्रीकृष्ण के उस विकृत, कलंकित स्वरूप को नही मानता। आर्य समाज उन्हें योगीराज दिव्य गुणों से युक्त महापुरुष मानता व सम्मानित करता है। इस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर हमें उनके जीवन दर्शन, गीता-ज्ञान शिक्षाओं उपदेशों आदि का चिंतन नमन करना चाहिए। ऐसे महापुरुष के जीवन से हमें उनके दिये गये उपदेशों, संदेशों, विचारों व ग्रन्थों पर चिंतन मनन व आचरण की शिक्षा लेनी चाहिए। इस अवसर पर देवव्रत आर्य, धर्मेन्द्र कुमार, रतन बरनवाल, नितीश कुमार, शिव श्याम, रजनीश कुमार, गणेश आर्य, विश्वनाथ आर्य,महिमा आर्य रिमझिम, राजेश्वरी गौतम, दृष्टि मोदनवाल सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

गरुण ध्वज पाण्डेय।

Vedant Singh

Vedant Singh S/O Dr. Naveen Singh Mo. Belwadandi Po. Gandhi Nagar Basti Pin . 272001 Mob 8400883291 BG . O Positive vsvedant12345@gmail.com

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