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‎सीड राखी कार्यक्रम के माध्यम से हरिद्वार में बालिकाओं को मिला प्रकृति से जुड़ाव का संदेश, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण पहल

‎हरियाली की राखी: हरिद्वार में बीज राखी वितरण से जुड़ा नया संदेश" ‎ ‎"सीड राखी से पर्व को मिली वैज्ञानिक संवेदना और पर्यावरणीय चेतना" ‎ ‎"भाई की कलाई के साथ धरती की गोद को भी सौंपा गया प्रेम"

 

‎हरिद्वार, 8 अगस्त।

‎पर्यावरणीय चेतना को सामाजिक पर्वों से जोड़ने की दिशा में जिला आयुष विभाग हरिद्वार ने एक अभिनव पहल की है। शुक्रवार को “सेट आधारित राज्य” योजना के अंतर्गत सीड राखी कार्यक्रम का शुभारंभ जिले के चयनित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर किया गया। जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. स्वास्तिक सुरेश के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम के तहत बालिकाओं को बीज युक्त राखियाँ (Seed Rakhis) वितरित की गईं, जिनमें नीम, तुलसी, सहजन, अमरूद जैसे औषधीय व पर्यावरणीय महत्व वाले पौधों के बीज समाहित थे। छात्राओं को बताया गया कि ये राखियाँ भाई की कलाई पर बाँधने के पश्चात मिट्टी में बोई जा सकती हैं, जहाँ से कुछ ही दिनों में पौधा अंकुरित होकर एक जीवनदायी वृक्ष बन सकता है।

‎इस अवसर पर सालियर में डॉ. नवीन दास, हल्लू माजरा में डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत, डाडा जलालपुर में डॉ. विक्रम रावत, मिर्जापुर में डॉ. फराज़ खान, और डॉ. भास्कर आनंद, जगदीशपुर में डॉ पूजा राय, मनीषा चौहान द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चिकित्सकों ने बताया कि बीज युक्त राखियाँ न केवल पर्यावरण के अनुकूल होती हैं, बल्कि बच्चों में पौधों के प्रति अपनत्व और प्रकृति से जुड़ाव की भावना को भी विकसित करती हैं।

‎वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण है। सामान्य राखियाँ प्लास्टिक व सिंथेटिक धागों से बनती हैं जो वर्षों तक नष्ट नहीं होतीं और पर्यावरण में प्लास्टिक कचरा बढ़ाती हैं। इसके विपरीत सीड राखियाँ 100% बायोडिग्रेडेबल होती हैं और मिट्टी में मिलकर हरियाली, ऑक्सीजन, और औषधीय महत्व के पौधे उत्पन्न करती हैं। सहजन जैसे पौधे तो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कुपोषण कम करने में भी सहायक होते हैं।

‎डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने कहा कि “सीड राखी एक प्रतीक है – जिसमें न केवल भाई-बहन का प्रेम है, बल्कि धरती माता के लिए भी एक जिम्मेदारी है। हम चाहते हैं कि हर बालिका एक पौधा रोपे और उसका पालन करे। यह परंपरा और प्रकृति का सुंदर संगम है।” उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम रक्षा बंधन से पूर्व जनपद के 12 आरोग्य मंदिरों के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से संचालित किया जाएगा।

‎राज्य आयुष मिशन के विशेषज्ञ डॉ. अवनीश उपाध्याय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “पर्यावरणीय संकट के इस दौर में ऐसे कार्यक्रम केवल प्रतीकात्मक न होकर व्यवहारिक समाधान बन सकते हैं। यह आयुष दर्शन और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) दोनों के अनुरूप है।”

‎कार्यक्रम में बच्चियों ने बीज राखियाँ प्राप्त कर खुशी जताई और पौधा लगाने की शपथ ली। इस पहल ने रक्षा बंधन पर्व को एक सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध रूप देते हुए हरिद्वार को पर्यावरणीय जागरूकता की दिशा में एक प्रेरणास्रोत के रूप में प्रस्तुत किया है।

Viyasmani Tripathi

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