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सनातन संस्कृति और संस्कारों के पवित्रता की रक्षा का पर्व है रक्षाबंधन: बीके सुमन
रक्षाबंधन पर्व पर रॉबर्ट्सगंज स्थित ब्रह्माकुमारी सेवा केन्द्र पर 200 लोगों को बांधा गया रक्षासूत्र - मानसिक विकार का त्याग करने का सभी को दिलाया गया संकल्प

ब्यूरो चीफ राम सुदीन, सोनभद्र
सोनभद्र। रक्षाबंधन महान सनातन संस्कृति की परम्परा का अखिल विश्व में केवल भारत में ही मनाए जाने वाला अनोखा पर्व है, जिसमें लिंग,जाति, रंग भेद से उपर उठकर एकता के सूत्र में बंधने का संदेश है। वर्तमान समय में बहनें ही भाइयों की कलाइयों में रक्षा सूत्र बांधती हैं। परंतु आज से लगभग साठ दशक पहले ब्राह्मण ही रक्षासूत्र बांधते थे। परंपरायें स्वभाविक रूप से परिवर्तनशील होती हैं, लेकिन इनके पीछे छिपा हुआ संदेश शाश्वत होता है। यदि त्यौहार और पर्व के मानने की मूल भावनाएं बदल जाए तो ये आडम्बर और प्रदर्शन का विषय बन जाते हैं। रक्षाबंधन के आस्था की मजबूत डोर ही सर्व बहनों की रक्षा सुनिश्चित करती है।
रॉबर्ट्सगंज स्थित ब्रह्माकुमारी के सेवाकेंद्र पर रक्षाबंधन के पावन पर्व पर रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य प्रकाश डालते हुए सेवाकेंद्र संचालिका बी•के• सुमन दीदी नें उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षाबंधन सनातन संस्कृति और संस्कारों के पवित्रता की रक्षा का पर्व है।
उन्होंने सभी लोगों को राखी बांधकर किसी एक मानसिक विकार का त्याग करने तथा एक सकारात्मक गुण को जीवन में धारण करने के लिए प्रतिज्ञा कराया। सेवाकेंद्र पर जनपद के विभिन्न भागों से आए लगभग 200 भाई बहनों को राखी के स्नेह सूत्र में बाँधी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति पुरस्कार शिक्षक एवं लेखक डॉ• ओमप्रकाश त्रिपाठी, डॉ• अनुपमा सिंह, डॉ• संजय सिंह, विंध्य कन्या डिग्री कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉक्टर अंजली विक्रम सिंह, ए•पी गिरी, पत्रकार राजेश पाठक, पत्रकार विवेक श्रीवास्तव, पत्रकार राम प्रसाद यादव सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ बी•के•हरीन्द्र भाई, बी•के•सीता बहन,बी•के•सरोज बहन, बी•के • कविता, बी•के•दीपशिखा बहन ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया।