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परिषदीय विद्यालयों का मर्जर बेसिक शिक्षा का काला अध्याय

गरीब, ग्रामीण और वंचित वर्ग के बच्चों की स्कूली शिक्षा पर मंडरा रहा संकट -आरटीई का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है स्कूलों का मर्जर

ब्यूरो चीफ सचिन कुमार कसौधन

बस्ती – उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के मर्जर (विलय) की योजना को लेकर राज्य भर में बहस तेज हो गई है। सरकार का तर्क है कि इससे शिक्षा व्यवस्था अधिक सुदृढ़ और संसाधन-संपन्न होगी, लेकिन शिक्षा विशेषज्ञों, अभिभावकों और समाजसेवियों का कहना है कि इस कदम से गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। खासकर बालिकाओं और दूर-दराज़ के इलाकों में रहने वाले बच्चों के ड्रॉप आउट (पढ़ाई छोड़ने) के मामले बढ़ सकते हैं। शासन स्तर पर तय किया गया है कि कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को आपस में मिलाकर एक ही परिसर में संचालित किया जाएगा। इस निर्णय के तहत कई छोटे विद्यालयों को बंद किया जाएगा और बच्चों को आसपास के “नजदीकी” विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही स्कूलों तक पहुंच एक बड़ी चुनौती है। कई बच्चों को पैदल ही स्कूल जाना पड़ता है। मर्जर के बाद जब स्कूल 2-3 किलोमीटर दूर होंगे, तो छोटे बच्चों के लिए नियमित उपस्थिति कठिन हो जाएगी। वहीं लड़कियों की शिक्षा पर यह कदम बड़ा असर डाल सकता है। दूर-दराज़ स्कूल भेजने को लेकर माता-पिता की चिंता, परिवहन की कमी और सामाजिक सुरक्षा की चिंता के चलते वे लड़कियों की पढ़ाई ही छुड़वा सकते। जबकि गरीब परिवारों के पास न तो परिवहन की सुविधा होती है और न ही वे ट्यूशन या प्राइवेट स्कूल का खर्च उठा सकते हैं। सरकारी स्कूल ही उनका एकमात्र सहारा होते हैं, जिनकी संख्या अब घटाई जा रही है। छोटे स्कूल अक्सर स्थानीय संस्कृति और समुदाय से जुड़े होते हैं। स्कूल का बंद होना बच्चों के मनोबल और स्थानीय भागीदारी को प्रभावित कर सकता है। इस मुद्दे पर विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा केवल भवनों का खेल नहीं है, यह बच्चों की पहुंच और सुविधा से जुड़ी है। यदि बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में दिक्कत होगी, तो ड्रॉप आउट बढ़ना तय है।इसीलिए जानकारों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि मर्जर से पहले व्यापक सामाजिक विमर्श किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो। यदि ज़मीनी सच्चाईयों को नजरअंदाज किया गया, तो यह फैसला शिक्षा में सुधार की बजाय, एक नई समस्या को जन्म दे सकता है।

Sachin Kumar Kasudhan

Beauro Chief (Basti)

Sachin Kumar Kasudhan

Beauro Chief (Basti)

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