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200 कन्याओं ने डी.जे.पार्टी में शराब न करने का संकल्प किया
आधुनिकता की हवा लगे पर व्यसनों की हवा न लगे - साध्वी अणिमाश्री

ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग
जसोल /बालोतरा :- साध्वीश्री अणिमाश्री जी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में सिवांची मालाणी तेरापंथ क्षेत्रीय संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय जोधपुर संभागीय बालिका संस्कार निर्माण शिविर सिवांची मालाणी भवन, असाडा रोड़ के सुरम्य अपूर्व उत्साह दुग्गोचर हो रहा है।
शिविर के तृतीय दिवस के प्रवचन सत्र में साध्वीश्री अणिमाश्री जी ने विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान उसके संस्कार में होती है। संस्कार जीवन शैली को व्यख्याचित करते है। आहार और व्यवहार संस्कारो से रूबरू करा सकता है। आज जीवन शैली व आहार शैली के सारे मापदंड बदल गए है। आज हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है, हमे चिंतन करना है। एक समय ऐसा भी था, जैन व्यक्ति की पहचान यह थी कि वह सप्त – व्यसनों से दूर रहता हैं। किंतु कहते हुए मन व्यथित हो रहा है कि हमारे समाज के कदम भी व्यसनों की तरफ बढ़ रहे है। समाज मे कई विकृतियों ने अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए है।
आज में कन्याओं से आह्वान करती हूं कि आप समाज मे आदर्श बने। आधुनिकता की हवा लगे तो कोई खास बात नही ! किंतु व्यसनों की हवा हमारे जीवन मे नही लगनी चाहिए। दूसरे लोग हमारे पहरेदार बने, इससे अच्छा है कि हम स्वयं के पहरेदार स्वयं बने। आज अनेक पार्टियां चल रही है, जो हमारे संस्कारो पर कुठाराघात कर रही हैं। आज शादी विवाह में डी.जे.पार्टियां चल रही हैं, उसमे लिकर का प्रयोग हो रहा हैं। हमारी कन्याए बाईफ़ोर्स या स्वेच्छा से भी शराब का सेवन कर रही है। कन्याओं ! आपको इससे बचना है। अपने चरित्र को दांव पर नही लगाना है। में चाहती हूं हर कन्या शराब के सेवन का त्याग करें। भद्दी आधुनिकता की और बढ़ते कदमो को रोके।
साध्वीश्री जी के आह्वान सुनकर शिविर में उपस्तिथ लगभग 200 कन्याओं ने संकल्प लेकर संस्कार सरंक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया। आयोजक वर्ग ने भी साध्वीश्री जी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की।
डॉ. साध्वीश्री सुधाप्रभा जी ने शिखर की और बढ़ने के लिए जीवन की एबीसीडी समझने व सीखने की प्रेरणा दी। प्रशिक्षिका श्रीमती राजेश्वरी तातेड़ ने विचार रखे। पचपदरा की कन्याओं ने मंगल संगान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी समत्वयशा जी ने किया।
सभी साध्वीवृन्द एवं प्रशिक्षक सीए राकेश खटेड, सुश्री याशिका खटेड, श्रीमती राजेश्वरी तातेड़, सुश्री प्रज्ञा सालेचा, श्रीमती ममता गोलेच्छा ने प्रशिक्षण दिया।