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“अबकी बार पक्की ग्यारस” – भक्ति परंपरा और संस्कृति का सिनेमाई संगम

डॉ राम दयाल भाटी की रिपोर्ट
जयपुर।
“ग्यारस” केवल एक तिथि नहीं, बल्कि जन-जन की आस्था, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक है। इसी भाव को परदे पर उतारने वाली राजस्थानी फिल्म “अबकी बार पक्की ग्यारस” का आज जयपुर के जैम सिनेमा में भव्य प्रीमियर हुआ। इस मौके पर भक्ति, लोक संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों से भरपूर इस फिल्म की पहली झलक ने दर्शकों का मन मोह लिया।
फिल्म की विशेषताएं
“अबकी बार पक्की ग्यारस” केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि यह फिल्म राजस्थानी संस्कृति, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक मूल्यों का एक गहरा प्रतिबिंब है। फिल्म की कहानी ग्यारस पर्व की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जो हर दृश्य में धार्मिकता और संस्कृति का अद्भुत समागम प्रस्तुत करती है।
निर्देशन और निर्माण टीम
फिल्म का निर्देशन किया है अनिल सैनी ने, जिन्हें हाल ही में बेस्ट डायरेक्टर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
सीमा कंवर फिल्म की निर्माता हैं, वहीं वैभव रुपानी और राम अवतार श्रीमाली सह-निर्माता के रूप में जुड़े हैं।
मुख्य कलाकार
फिल्म में कई लोकप्रिय चेहरे नजर आएंगे, जिनमें शामिल हैं:
भंवर सिंह शेखावत, अस्मिता मीना, धर्मराज देवली, काकाजी, दीपेश, आचार्य रविन्द्र महाराज जी, राहुल स्वामी, निकिता गोस्वामी, मोना कुमावत।
बाल कलाकारों में रियांशी अग्रवाल, तनीषा सैनी, लक्ष्य सिंह और मोटू प्रमुख हैं।
संगीत और तकनीकी टीम
फिल्म का संगीत पारंपरिक लोक और भक्ति भावों का सुंदर समावेश है।
बैकग्राउंड म्यूजिक दिया है निज़ाम खान ने।
गायक हैं: संजय राजस्थानी, करण सिंह, भव्य सिंघल और धनराज दाधीच।
गीतकार: अनिल भूप और मनोज कुमावत फौजी।
कैमरामैन: हीरा डाबरिया
एडिटर: बीएल मान और संदीप सैनी
मेकअप आर्टिस्ट: संजय सेन, पूजा सेन और चंचल टाक
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
फिल्म के प्रीमियर में कई जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें शामिल रहे:
महामंडलेश्वर स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव सिंह शेखावत, रींगस धाम के आचार्य रविन्द्र महाराज जी, राजस्थानी फिल्म निर्माता निर्देशक सुरेश मुद्गल, लखविंदर सिंह, आर. डी. भाटी और मंजूर अली कुरैशी सहित अनेक फिल्मी हस्तियां।
पारिवारिक दर्शकों के लिए आदर्श फिल्म
“अबकी बार पक्की ग्यारस” एक ऐसी धार्मिक पारिवारिक फिल्म है, जो हर उम्र के दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है। यह फिल्म न केवल राजस्थानी सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि भक्ति और संस्कृति को भी नई पहचान दिलाएगी।