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जिम्मेदारों की मिलीभगत से जारी हो रहा फर्जी मस्टरोल अभिलेखो मे बनी 97 श्रमिकों की फर्जी हाजिरी
डी0सी0 मनरेगा की संलिप्तता से रुकने का नाम नही ले रहा मनरेगा भ्रष्टाचार -ठेके के श्रमिकों से मानक विहीन काम कुदरहा ब्लाक के ग्राम पंचायत भक्तुपुर से जुड़ा मामला -लालगंज मार्ग से श्याम लाल के खेत तक सरहद के दोनों तरफ पटरी सफाई एवं मिट्टी कार्य में 97 श्रमिकों की हाजिरी

ब्यूरो चीफ सचिन कुमार कसौधन
बस्ती संवाददाता – केन्द्र सरकार भले ही गांवो मे गरीबों के रोजागर हेतु लाख जुगत करे लेकिन मनरेगा माफिया हाथ साफ करने मे पीछे नही हट रहे है। ग्राम पंचायत भक्तूपुर में गांवों के मनरेगा श्रमिकों को ठेंगा दिखाते हुए ठेके के श्रमिकों से मानक विहीन काम होने से मनरेगा योजना हाथी का दांत साबित हो रहा है।
प्राप्त समाचार के अनुसार – विकास खण्ड कुदरहा के अन्तर्गत ग्राम पंचायत भक्तूपुर में लालगंज मार्ग से श्याम लाल के खेत तक सरहद के दोनों तरफ पटरी सफाई एवं मिट्टी कार्य में ठेके के श्रमिकों से मानक विहीन काम करवाया गया मनरेगा अधिकारियों की मिलीभगत होने से मनरेगा मजदूरों की उपस्थिति पंजिका में फर्जी श्रमिकों की उपस्थिति लगी है आनलाइन काम करते हुए दिखाये जा रहे मजदूरों की संख्या 97 है। ग्राम पंचायत भक्तूपुर में लालगंज मार्ग से श्याम लाल के खेत तक सरहद के दोनों तरफ पटरी सफाई एवं मिट्टी कार्य की साइड पर ग्रामीणों की सूचना पर मीडिया टीम के जमीनी पड़ताल में धरातल पर ठेके के चार श्रमिकों के द्वारा मानक विहीन काम करते हुए मिले।.ठेके के श्रमिकों ने बताया हम लोगो को प्रधान के द्वारा 10 हजार रूपए में काम करने का ठेका दिया गया है। ऐसे में धरातल से नदारद मनरेगा मजदूरों की कागज़ों मे उपस्थिति होना एवं ब्लाक प्रशासन का अनजान रहना विकास का पोल खोलता नजर आ रहा है। सूत्रो के अनुसार
मनरेगा के ज़िम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की खुली छूट होने से जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने चहेतों का मनमानीपूर्ण हाजिरी लगाने /लगवाने में लगे हुए है। ब्लाक प्रशासन की उदासीनता से सरकार के जीरो टालरेंस की नीति को पलीता लगाया जा रहा है। केन्द्र सरकार की मनरेगा योजना को ब्लॉक के अधिकारियों एवं कर्मचारिओं द्वारा तार-तार किया जा रहा है। अपना जेब भरता तो भाड़ में जाए जनता की नीति को जिम्मेदार चरितार्थ कर रहे है। जनप्रतिनिधि एवं सचिव मिली जुली खिचड़ी पकाने में जुटे हैं और सरकारी धन के सफाये के लिए कटिबद्ध हो गए है। भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर प्रभावी कार्यवाही ना हो पाने से गरीब जनता का जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर से भी विश्वास उठ रहा है।मामला प्रकाश में आने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने के बजाय अपने हिस्से की मलाई काटने के मस्ती मे व्यस्त रहते हैं।
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