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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पहला   साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस समारोह कार्यक्रम हुआ आयोजित 

ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग बालोतरा

 

जसोल- तारीख 01अक्टूबर 2024

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पहला साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस समारोह कार्यक्रम हुआ आयोजित

आचार्य श्रीमहाश्रमणजी के शिष्य मुनिश्री यशवन्तकुमारजी मुनिश्री मोक्षकुमारजी के सानिध्य मे स्थानीय पुराना ओसवाल भवन जसोल मे तारीख 01 अक्टूबर 2024 को प्रातः 9:30 बजे अणुव्रत समिति जसोल के तत्वावधान मे अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पहला दिवस साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस के रूप मे मनाया गया

सर्व प्रथम- मुनिश्री यशवन्तकुमारजी ने नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम शुरुआत हुआ मंगलाचरण डुंगरचनद बागरेचा व स्वागत भाषण अणुव्रत समिति पारसमल गोलेच्छा ने दिया अणुव्रत आचार सहिंता का वाचन तेरापंथ सभा के अध्यक्ष भुपतराज कोठारी ने दिया अणुव्रत समिति के प्रभारी श्रीमति लीला सालेचा ने अपने भाव व्यक्त किए मुनिश्री मोक्षकुमारजी ने उद्बोधन मे कहा कि आचार्य तुलसी ने कहा था कि आत्म शुद्धि साधनम धर्म अर्धात आत्मयुद्धि का साधन है। उन्होने कहा कि सभी धर्म अच्छे है लेकिन साम्प्रदायिकता बुरी है ।उन्होने कहा की अणुव्रत के नियमो पर चलने से विश्व शान्ती हो सकती है। , सेन्ट पोल फादर रौनाड रोबो ने विचार व्यक्त किय- पुरा विश्व एक परिवार है, एक दुसरे के भाई भाई मान कर चले तो हमारे बीच कोई हिंसा नही रहेगी, धर्म के नाम पर संघर्ष हो रहा है सभी अपने- अपने अहं को लेकर चल रहे है यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन पृथ्वी पर रहने वाली समस्त मानव जाति का संहार हो जाएगा इसलिए हमे एक दुसरे के प्रति सौहार्द भाव रखना चाहिए, मौलना शौकत अली अकबर ने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि- धर्म एक ही है केवल मानव धर्म राम रहीम केशव करीम अल्लाह शब्द सभी एक ही रहे, ईशवर एक ही है, पर उसके नाम अलग अलग है यही उनका सौहार्द भाव था सभी संप्रदायो को एक मानकर तथा उनमे से सभी अच्छी बात को स्वीकार कर उनमे छिपी बुराई को दूर करने के लिए लड़ाते रहे उनकी दृष्टि मे मानव धर्म के अलावा कोई धर्म संप्रदाय ही नही होता , कौशलगिरी मराज ने कहा की मानव जाति के लिए आपसी सौहार्द या सद्भाव होना अत्यंत आवश्यक है आज सभी साम्प्रदायिक शब्द के अर्थ से परिचित है, मुनिश्री यशवन्तकुमारजी उद्बोधन देते कहा कि- साम्प्रदायिक सौहार्द मानवता का गुण है यह भाव बैर, शत्रुता, दुर्व्यवहार, दुर्भाव, आदि को दूर करता है, मानव मे होने वाले श्रेष्ठ गुणो का विकास करता है , लगभग सभी संतो ने यही कहा है,धर्म हमे कभी आपस मे बैर रखना वह घृणा की सीख नही देता व मैत्री भाव सदभाव व प्रेम भाव मे सहायक बना, आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से एक ऐसे व्यवहारिक धर्म की रचना की जिसमे हर व्यक्ति प्रेम सदभाव मैत्री के साथ रहकर स्वस्थ समाज की रचना कर सकता है- मुख्य अर्थितिगणो को अणुव्रत समिति के सदस्य ने अणुव्रत दुपट्टा पहनाकर व अणुव्रत साहित्य देकर सम्मानित किया आभार व्यक्त- ज्ञानशाला के प्रभारी डूंगरचन्द सालेचा ने किया इस कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत समिति के मन्त्री सफरुखान ने किया इस कार्यक्रम मौजूद थे- अणुव्रत समिति के कोषाध्यक्ष भीकचंद छाजेड़, अकरमखान पठान, माणकचनद संखलेचा, ईशवरचनद भंसाली, सम्पतराज चोपड़ा, मोतीलाल गांधी मेहता, याक़ूबखांन मोयला ( पार्श्द) , हनीफखांन, युसुफखांन, फिरोजखांन, आदि

Santosh Kumar Garg

Beauro Chief Balotra Rajasthan

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