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18 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वंचित अनुसूचित जातियों में एक आशा की किरण दिखाई दी। SC-A की 36 वंचित अनुसूचित जातियाँ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है

नारनौल 20 अगस्त ( सतीश कुमार शर्मा)

 

18 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वंचित अनुसूचित जातियों में एक आशा की किरण दिखाई दी। SC-A की 36 वंचित अनुसूचित जातियाँ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने इसे लागू करने की घोषणा कर दी है। एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने वर्गीकरण का रास्ता साफ कर दिया कि राज्य सरकार वर्गीकरण कर कोटे में से कोटा दे सकती है इस पर वंचित अनुसूचित जातियाँ सामाजिक न्याय के पक्ष में तो दूसरी तरफ अन्य अनुसूचित जाति (चमार और मीणा) जिनकी शासन प्रशासन में अग्रणी भागीदारी है वे इस सामाजिक न्याय के विरोध में उतर आए हैं जो आये दिन आरक्षण खत्म कर दिया या आरक्षण खत्म हो जायेगा जैसी गलत स्टेटमेंट देकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं जबकि जो अग्रणी अन्य अनुसूचित जाति (चमार और मीणा) के लोग है जिनकी शासन, प्रशासन अधिकारी कर्मचारी वर्ग को बड़ा दिल दिखाना चाहिए सामाजिक न्याय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करना चाहिए अपने वंचित भाइयों को गले लगाकर प्रेमभाव दिखाना था न कि ईर्ष्यावश होकर विरोध करना। अगर 36 वंचित अनुसूचित जातियों को सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व मिलता है तो उनकी भागीदारी सुनिश्चित होती हैं तो ये लोग भी आरक्षण के महत्व को समझ पाएंगे और कंधे से कंधा मिलाकर सांझी माँग निजी क्षेत्र में आरक्षण, बैकलॉग पूरा करवाने के लिए संघर्ष करेंगे फिर भी यदि अन्य अनुसूचित जाति के लोग निज स्वार्थ हेतु 21 अगस्त को भारत बंद करते है तो सीधे सीधे सामाजिक न्याय का विरोध होगा और वंचित अनुसूचित जातियाँ (धानक, वाल्मीकि खटीक, साँसी सपेरा, पेरना बाजीगर सिकलीगर सिरकीबन्द, आडधर्मी, बंगाली, बरार, डूम, डैया आदि 36 जातियाँ) इस भारत बंद का विरोध करेगी जिससे आपसी भाईचारा खराब होगा। बाबा साहेब सामाजिक न्याय के पक्षधर थे वे चाहते थे आरक्षण का लाभ अंतिम पायदान समुदाय को मिले तभी सही मायने में आरक्षण का उद्देश्य सफल होगा। 1994 से 2006 तक आरक्षण में वर्गीकरण लागू था माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री भजनलाल ने आयोग बनाया जिन्होंने अनुसूचित जातियां में सभी जातियों की सरकारी नौकरियों भागीदारी का रिकॉर्ड मांगा जब आयोग ने रिपोर्ट सौंपी वो बहुत ही चौकाने वाली थी जिसमें D ग्रुप की नौकरियों को छोड़ दे तो बाकी A ग्रुप, B ग्रुप की नौकरियों में SC-A वर्ग जिसमें 36 वंचित अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व कुल 20% आरक्षण में सिर्फ 2% था इस पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री भजनलाल ने सामाजिक न्याय किया और 20% का आधा हिस्सा SC-A, B वर्गीकरण कर दिया। यह वर्गीकरण 1994 से 2006 तक रहा इस अल्प समय में वंचित जातियों के लोगों को भी आरक्षण का समान लाभ मिला परन्तु अन्य अनुसूचित जातियों के लोग जिनकी शासन प्रशाशन नौकरियों में अधिक भागीदारी थी ये लोग तभी से इस वर्गीकरण को खत्म करना चाहते थे और ये लोग अपनी राजनीतिक ताकत से 2006 में इस वर्गीकरण को खत्म करवा दिया। वर्गीकरण खत्म होने के पश्चात वंचित अनुसूचित जातियों के लोग नौकरियों में फिर पिछड़ गए। 15 मई 2020 को पूर्व मुख्यमंत्री थी। मनोहर लाल ने हायर एजुकेशन में एडमिशन के लिए वर्गीकरण को फिर से लागू किया इससे वंचित अनुसूचित जातियों में फिर से आशा की किरण नजर आई और उन्होंने मुख्यमंत्री जी आभार प्रकट किया और इस वर्गीकरण को नौकरियों में भी लागू करवाने के लिए संघर्ष करते रहे और जब माननीय सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बैंचने ने 1 अगस्त 2024 को वर्गीकरण के हक में फैसला दिया कि राज्य सरकार वर्गीकरण करने का अधिकार है। अब अन्य अनुसूचित जाति के लोगो को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए समान बंटवारा होने से दो भाइयों का प्रेम बढ़ता है। बाबा साहेब के सच्चे अनुयायी हैं वे सामाजिक न्याय का सम्मान करें और भारत बंद का विरोध करें।

Satish Kumar

Beauro Chief Mahendragarh Haryana

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Beauro Chief Mahendragarh Haryana

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