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ध्रुव ने पांच वर्ष की आयु में ही भगवान को कर लिया था प्राप्त: विश्वनाथ

ब्यूरो चीफ सतीश कुमार महेंद्रगढ़ हरियाणा

 

नारनौल। नांगलकाठा में श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को धूमधाम से आयोजन किया गया। इस मौके पर झांकियों का आयोजन भी किया गया, जिसे ग्रामीणों ने खूब सराहा। इस मौके पर कथा करते हुए वृंदावन से पधारे कथा वाचक विश्वनाथ लावणिया ने कहा कि ध्रुव ने पांच वर्ष की आयु में ही भगवान को प्राप्त कर लिया था। भजन व भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। भजन की तीन गति होती हैं। बचपन और जवानी में बहुल ही लाभ होता है, लेकिन जब बुढ़ापा में करता है तो उसका ज्यादा फल नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि जिसने गुरु बनाया है, उसको कम से कम दिन में 11 बार मन से याद करो। इस मौके पर उन्होंने काली कमली वाला मेरा यार है, तू मेरा यार मेरा दिलदार है, मेरे मन का मोहन तू दिलदार है। श्याम सलोना मेरा दिलदार है मेरे मन के मोहन तू दिलदार है, सुनाया। उन्होंने कहा कि अच्छाई और बुराई बच्चे गर्भ में ही सीख जाते हैं, क्योंकि वह अच्छाई और बुराई माता के सोच पर या उनके विचारों के हिसाब से सीख जाते हैं। इसलिए माताएं गर्भधारण के समय सर्वोत्तम आचरण करें और अपने आचार-विचार को संयमित रखते हुए अच्छाई के

 

Satish Kumar

Beauro Chief Mahendragarh Haryana

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