
ब्यूरो रिपोर्ट… रामपाल सिंह धनगर
रूद्रपुर…रमपुरा मंदिर से मां अटरिया देवी का भव्य डोला गाजे-बाजे के साथ जगतपुरा अटरिया मंदिर पहुंचा। प्राचीन मंदिर मां अटरिया धाम करीब 200 ईसवी का बताया जाता है। कहा जाता है कि निर्माण के बाद किसी आक्रमणकारी ने मंदिर को तोड़ दिया था और मूर्तियां पास के कुएं में डाल दिया था। 1588 ईसवी में अकबर का शासन काल था। जिसके बाद तराई का क्षेत्र राजा रुद्र चंद के कब्जे में आया। जंगल में शिकार खेलने गए राजा रुद्र चंद्र के रथ का पहिया दलदल में फंस गया। पहिया नहीं निकलने पर राजा ने उसी स्थान पर रात्रि विश्राम का फैसला किया। मां अटरिया ने रात्रि के समय स्वप्न में राजा को दर्शन दिए और कुएं में मूर्तियां होने की बात बतलाई। जिसके बाद उसी जगह पर राजा रुद्र चंद्र ने सन 1600 ईस्वी में फिर से मूर्तियों को स्थापित किया और मंदिर का निर्माण किया। जिसके बाद से लगातार मंदिर में दर्शन और पूजन का क्रम जारी है। इस दौरान एस.के.एल.ओ मैनेजमेंट के एमडी राजेश सिसोदिया ने कहा कि मां अटरिया धाम में दर्शन के लिए हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग पहुचते हैं जिनकी मुरादे मां पूरा भी करती हैं। आज रमपुरा मंदिर से मां अटरिया देवी का भव्य डोला किच्छा रोड, इंदिरा चौक, नैनीताल रोड, डीडी चौक, अटरिया मोड, जगतपुरा एस के.एल.ओ मैनेजमेंट के कार्यालय के पास से होते हुए प्राचीन श्री अटरिया देवी माता शक्तिपीठ जगतपुरा पहुंचता है। इस दौरान एस.के.एल ओ.मैनेजमेंट के सभी पदाधिकारी एक साथ मिलकर माता रानी के भक्तों को प्याऊ लगाकर मीठा पानी पिलाते है, और पुष्प वर्षा कर डोले का स्वागत करते हैं। इस अवसर पर हरेंद्र राव उर्फ (मीनू) ने हमे बताया कि आज से 21 दिनों तक चलने वाला यह भव्य अटरिया मेला आज से शुरू हुआ है। और आज अटरिया माता के डोले में शामिल होकर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने माता रानी के दर्शन किए हैं। इस दौरान महंत पुष्पा देवी,मेला प्रबंधक अरविंद शर्मा, नवी हसन, हरीश चौहान, डॉक्टर अंग्रेज सिंह, बब्लू, पंकज, राहुल गंभीर,माजिदअली, मोहित चड्ढा,खेमानंद जोशी,खुशवंत सिंह, सूरज मदक,अमित, मुकेश, समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।