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भगवान भक्तों के भाव देखते हैं-आचार्य बजरंग शास्त्री

 

ब्यूरो चीफ सतीश कुमार महेंद्रगढ़ हरियाणा 

 

*नारनौल न्यूज़*

 

श्री गौ गोपाल प्रचार एवं असहाय सेवा संस्थान के तत्वावधान में श्री कल्लू मल धर्माथ बगीची मे आयोजित संगीतमय श्री मद् भागवत कथा के सप्तम दिवस पर आज सर्वप्रथम आचार्य मनीष शास्त्री ने मुख्य यजमान महेश भालोठीया,महेंद्र नूनिवाला,निशांत सोनी,प्रभु दयाल, वरुण सिंघल, रमेश गोयल के द्वारा विधिविधान से सभी देवताओं का पूजन करवाया, इसके उपरांत आचार्य बजरंग शास्त्री जी श्री मद् भागवत कथा का प्रवचन देते हुये बताया कि भगवान भक्तो के भाव को देखते है भाव के बिना वो किसी भी वस्तु को ग्रहण नही करते ।भगवान कहते है की भाव का भूखा हूँ मै और भाव ही एक सार है भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।

 

*आचार्य जी ने गोपी- उद्धव संवाद का मार्मिक वर्णन करते हुये कहा कि गोपीयों का प्रेम संसारिक प्रेम नही था, ये तो भक्त और भगवान का प्रेम था। उन्होने बताया कि मनुष्य को निस्वार्थ भक्ति करनी चाहिये। भक्ति के बदले हमारे मन मे किसी वस्तु की माँगने की कामना नही होनी चाहिये । भगवान को नि स्वार्थ भक्ति पसंद है। जो भक्त निस्वार्थ भक्ति करते है भगवान उस पर स्वयं न्यौछावर हो जाते है, क्योंकि भगवान कहते है “निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र ना भावा” ।भक्तो के जीवन मे ज्ञान का महत्व कम है जबकि भक्ति को सर्वोपरि माना है उद्धव जैसे ज्ञानी को गोपियों ने अपनी भक्ति और प्रेम से अपना भक्त बना लिया ।आचार्य जी ने कहा कि हमे धर्म कर्म मे रुचि लेकर भगवान का सुमिरन करते रहना चाहिए।*

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आचार्य जी ने कृष्ण भगवान के 16108 विवाह का भी वर्णन किया । व्यास जी ने कृष्ण सुदामा चरित्र का बड़ा ही मार्मिक वर्णन करते हुये कहा कि “देख सुदामा की दीन दशा ,करुणा करके करुणानिधि रोये ।पानी परात को हाथ छुयो नही नैनन के जल सो पग धोये “,सुनकर सभी भक्तो के नेत्र सजल हो गये ।उन्होने बताया की सुदामा के लिये जितने विशेषण भागवत मे बताया गये है शायद ही किसी के लिये उनका प्रयोग किया गया हो ।सुदामा जी एक तपोनिष्ठ और ब्रह्म को जानने वाले ब्राह्मण थे ।उन्होने बताया कि जैसी मित्रता कृष्ण और सुदामा जी ने निभाई वैसी ही हमे भी मित्रता निभानी चाहिए। कथा के अंत मे दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं की कथा और कलियुग के प्रभाव का वर्णन किया ।उन्होने बताया कि कलियुग मे बहुत अत्याचारहोगा , संतों , ब्राह्मणो का अपमान होगा, माता पिता का तिरस्कार होगा ।कलियुग मे सभी पापों से बचने का एकमात्र उपाय हरी नाम सँकिर्तन है । इसलिए हमे सदा भगवान के नाम का स्मरण करते रहना चाहिये ।उसके बाद भागवत जी की और शुकदेव जी की विदाई हुई की गई। नेमी चन्द जैन ने इस कथा मे बहुत सुन्दर सहयोग दिया। व्यास पीठ पर आसीन महाराज जी ने पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया तथा कथा के अंत मे वृंदावन की प्रसिद्ध फूलों की होली खेली गयी जिसमे सुंदर झांकी भी दिखाई गयी ।सभी भक्तो ने झुमकर नाच कर आनँद लिया, कोषाध्यक्ष विनोद सोनी ने बताया कि कल सुबह हवन के पश्चात अन्नकूट का प्रसाद होगा ।

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*इस अवसर पर मुख्य रूप से सुरेन्द्र चौधरी (पूर्व जिला प्रबंधक हैफेड), गोपाल मित्तल, भगवानदास चौधरी, संगीत नंबरदार, प्रवीण अग्रवाल (शुभम सूट), जोगिंदर बजाज,महेंद्र नूनीवाला,विनोद सोनी,सुरेन्द्र गोयल, विजय जिंदल, संजय गर्ग, प्रदीप संघी, राकेश बंसल, सियाराम पंसारी, टाइगर क्लब परिवार, रामकिशन,प्रभु बंसल, सोमदेव शर्मा सहित सैकडों की संख्या में मातायें बहने एवं काफी संख्या में शहर के अनेक गणमान्य लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे।*

Satish Kumar

Beauro Chief Mahendragarh Haryana

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