
ब्यूरो चीफ डॉ राम दयाल भाटी की रिपोर्ट
बीकानेर 05 मार्च, 2023 । ‘‘पशुओं में केवल अधिक मात्रा में दूध प्राप्त होने वाले पशुओं खासकर गाय व भैंस पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाता है, परंतु अब ऊँटनी तथा बकरी के दूध की औषधीय उपयोगिता के आधार पर मांग बढ़ रही हैं, ऐसे में कोसों दूर चलकर यात्रा करने वाले घुमन्तु पशुपालक, इन पशुओं के दूध का भी महत्व समझते हुए विपणन (मार्केटिंग) के क्षेत्र में पुख्ता तौर पर पदार्पण करें।‘‘-ये विचार श्रीमान परशोत्तम रुपाला जी, माननीय केन्द्रीय मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी, भारत सरकार ने आज दिनांक को भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर में एनआरसीसी, उरमूल सीमांत समिति तथा सहजीवन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित घुमन्तू पशुपालकों एवं संबद्ध समुदाय के साथ परिचर्चा कार्यक्रम के दौरान कहें। श्रीमान रुपाला ने कहा कि ऊँटनी के दूध संकलन, प्रसंस्करण आदि को योजनाबद्ध रूप में अपनाते हुए दूध व इससे निर्मित स्वादिष्ट व्यंजन आदि की ऑनलाइन आधार पर बिक्री प्रारम्भ की जानी चाहिए। मंत्री महोदय ने चर्चा के दौरान घुमन्तु पशुपालकों से रू-ब-रू होते हुए उनको जमीनी स्तर पर आ रही समस्याओं एवं चुनौतियों पर बातचीत पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा घुमन्तू पशुपालकों के लिए पशुपालन मंत्रालय में एक विशेष अनुभाग को योजनाबद्ध किया जा रहा है, क्योंकि भारत सरकार, इनसे जुड़ी समुदायों की समस्याओं आदि को लेकर विशेष गंभीर हैं। श्रीमान रुपाला जी ने ‘वेस्ट टू वेल्थ‘ के तहत अनुपयोगी चारा व खाद्य आदि द्वारा श्रेष्ठ उत्पादन तैयार करने की बात कहीं। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा पशुपालन व्यवसाय के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए अलग से मंत्रालय बनाए जाने का जिक्र करते हुए भारत सरकार की योजनाओं को पशुपालकों तक भलीभांति जानकारी पहुंचाने के लिए शिविरों आदि आयोजित किए जाने हेतु प्रोत्साहित किया जिसमें गैर सरकारी संगठन आदि भी जुड़ते हुए पशु व मानव हितार्थ आगे आएं, ताकि इनसे, उन्होंने पशुपालकों को डेयरी उद्यम हेतु प्रोत्साहित करते हुए सरकार द्वारा इसके लिए बुनियादी सुविधाओं आदि के रूप में हर संभव मदद करने की बात कही। श्री रुपाला जी ने पशुपालकों से जुड़े कई मुद्दों पशु चारण भूमि आदि को राज्य सरकार के साथ गंभीरता से रखने की भी बात कही।
श्री रूपाला जी ने बीकानेर में अपना यात्रा का प्रयोजन स्पष्ट करते हुए कहा कि बीकानेर प्रवास का मूल उद्देष्य संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव‘‘ में शामिल होना था तथापि हमने तय किया है कि जहां भी जाएंगे और जितना संभव हो सकेगा हम पशुपालन के क्षेत्र में सबसे निचले पायदान पर खड़े घुमंतू पशुपालक भाई-बहनों से सीधा संवाद करेंगे। जनकेन्द्रित सुशासन का प्रधानमंत्री जी का उद्घोष हमारी इस प्रतिबद्धता का प्राण तत्व है।
इस अवसर पर मंत्री महोदय श्री रुपाला जी के कर कमलों से केन्द्र द्वारा उष्ट्र संबंधी प्रकाशनों का विमोचन किया गया तथा ऊँटनी के दूध से बनी चॉकलेट लॉन्च की गई। साथ ही उन्होंने केन्द्र की ‘ऊँट उत्पाद प्रसंस्करण उपयोग और प्रशिक्षण इकाई‘ का भी उद्घाटन किया।
केन्द्र में आयोजित इस महत्वपूर्ण परिचर्चा के दौरान श्रीमान अर्जुन राम जी मेघवाल, माननीय संसदीय कार्य और संस्कृति राज्यमंत्री, भारत सरकार ने घुमन्तु पशुपालकों की समस्याओं पर बात करते हुए ऊँट पालकों को समाजार्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए योजनाओं का निर्माण व नीति बनाई जानी की आवश्यकता जताई। श्रीमान मेघवाल जी ने इस अवसर पर जोड़बीड़ आदि आस-पास के क्षेत्रों में पशुओं के लिए चराई क्षेत्र की व्यवस्था हेतु पहल करने पर जोर दिया ताकि ऊँट व भेड़ आदि घुमन्तू पशुओं का निर्वाह हो सकें व पशुपालकों को सहायता मिल सके। साथ ही उन्होंने जोड़बीड़ क्षेत्र में पक्षियों के संरक्षण एवं महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इस क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक स्थल (इन्टरनेशनल बर्ड वॉचिंग सेंटर) के रूप में विकसित करने पर जोर दिया ताकि आस-पास क्षेत्रों के पशुपालकों को इसका लाभ सके।
इस अवसर पर केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि यह केन्द्र ऊँट प्रजाति से संबद्ध है तथा अनुसंधान के साथ-साथ उष्ट्र प्रजाति से जुड़े प्रत्येक समुदाय के लिए हर संभव व्यावहारिक प्रयास हेतु सतत प्रयत्नषील रहता है, घुमन्तु पशुपालकों के लिए आयोजित परिचर्चा भी इन सुमदाय से जुड़ी समस्याओं के निराकरण की दिशा में एक प्रयास है। डॉ. साहू ने जानकारी दी कि मंत्री महोदय जी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि उष्ट्र संरक्षण की दिशा में काम किया जाएगा क्योंकि ‘ऊँट‘ पशु में एक मोहकता समाहित है तथा वे दुनिया को भी आकर्षित कर सकती है, इसलिए इस व्यवसाय को बढ़ावा देने पर काम किया जाएगा।
इस अवसर पर श्री पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़, डीआईजी, बीएसएफ, बीकानेर, श्री सुनील लहरी, सचिव, उरमूल सीमांत समिति, श्री जोराराम जी ज्यानी, अध्यक्ष, पश्चिमी राजस्थान ऊँट पालक फैडरेशन, श्रीमती पाना देवी, अध्यक्ष, नया उजाला, एफ.पी.ओ. जायल ने भी उष्ट्र पालन व्यवसाय से जुड़े व्यावसायिक पहलुओं की चर्चा की.
मंत्री महोदय जी से खुली चर्चा के दौरान पशु पालकों ने पशुपालन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं यथा-पशु चरागाह क्षेत्र की कमी, ऊँट के निकास पर प्रतिबंध, विभिन्न स्वास्थ्य रोगों एवं सुविधाएं आदि की जानकारी दीं। इस अवसर सहजीवन के श्री अनुराग कुशवाहा, स्टैट कॉर्डिनेटर ने घुमन्तू पशुपालकों हेतु चल रहे कार्यों के बारे में अद्यतन जानकारी दी। इस दौरान केन्द्र परिसर में एक प्रदर्शनी कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें एन.आर.सी.सी. सहित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, उरमूल, नाबार्ड आदि द्वारा अपनी अभिनव प्रौद्योगिकी को विभिन्न स्टॉल्स के माध्यम से मंत्री महोदय व घुमन्तू पशुपालकों के समक्ष प्रदर्शित किया गया।