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प्रभो! है ज्योतिचरण, आप श्री का सद सान्निध्य व आप श्री की अमृतदेशना सूरत के श्रद्धालुओं के स्मृति पटल पर सदा-सदा के लिए अंकित रहेगी। एक दर्शक की अवधि में पुनः पदार्पण की अपेक्षा के साथ भावपूर्ण विदाई
ब्यूरो चीफ सन्तोष कुमार गर्ग बालोतरा
*प्रभो! है ज्योतिचरण, आप श्री का सद सान्निध्य व आप श्री की अमृतदेशना सूरत के श्रद्धालुओं के स्मृति पटल पर सदा-सदा के लिए अंकित रहेगी। एक दर्शक की अवधि में पुनः पदार्पण की अपेक्षा के साथ भावपूर्ण विदाई….*
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*16 नवम्बर 2024 को प्रातः 8 बजे लगभग हजारों हजारों श्रद्धालु गुजरात राज्य के सूरत महानगर में समाए पॉश विस्तार कहे जाने वाले द्वितीय वी आई पी रोड़ पर स्थित भगवान महावीर यूनिवर्सिटी परिसर में निर्मित महाश्रमण समवसरण, प्रेक्षा समवसरण तथा समीप में स्थित संयम विहार व उसके आसपास के लगभग आधा किलोमीटर विस्तार में अपने आराध्य तेरापन्थ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता परम श्रद्धेय युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की एक झलक पाने हेतु आतुर थे। पूज्य प्रवर के चातुर्मास की सम्पन्नता उपरांत विदाई की वेला में वहां प्रतीक्षारत अधिकांश श्रावक-श्राविकाओं के चेहरों पर उदासीनता व मायूसी सी छाई हुई थी। जो श्रद्धालु ज्योतिचरण के सान्निध्य में समीप खड़े होंगे तो कल्पना की जा सकती है कि उनकी आंखे नम होगी ? हो सकता है कि वे आंखों से बहती अश्रुधारा को थामने हेतु प्रयास कर रहे होंगे ? व गला रुंधा हुआ होगा ? प्रत्यक्ष दर्शी श्रद्धालुओं के अनुसार विहार के दिन अतार्थ 16 नवम्बर 2024 को भोर 5 बजे से पूज्यवर के दर्शन करने व उनके मुखारविंद से मंगलपाठ का श्रवण करने हेतु आतुर श्रावक-श्राविकाओं का अपार तांता सा लगा हुआ था। हजारों श्रद्धालुओं की बैठक क्षमता युक्त महाश्रमण समवसरण प्रातः 6,30 के मंगलपाठ के दौरान खचाखच भर गया था। हर कोई पूज्य गुरुदेव के दर्शन करने हेतु व आप श्री की दिव्य दृष्टि पाने हेतु लालायित था। सूरत में आयोजित विभिन्न चातुर्मासों की श्रंखला में सम्भवत चातुर्मास की सम्पन्नता पश्चात यह प्रथम विदाई समारोह होगा कि अपने आराध्य की दिव्य दृष्टि पाने हेतु हजारों-हजारों श्रद्धालुओं का विशाल जनसैलाब सा उमड़ पड़ा था, ऐसा ही परिदृश्य पूज्य गुरुदेव के चातुर्मासार्थ प्रवेश के दौरान नज़र आया था, ऐसा अनुपम दृश्य नजर क्यों नही नजर आएगा ? कारण सूरत के श्रद्धालुओं को लगभग दो दशक पश्चात पूज्यवरों का चातुर्मास जो प्राप्त हुआ था। गत 15 जुलाई 2024 के मंगल प्रवेश से लेकर गत रोज 15 नवम्बर 2024 तक के इस चातुर्मास के अंतिम पड़ाव के दौरान पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद से दिव्य अमृतदेशना का श्रवण करने का सौभाग्य जो मिला। कुछ समय के लिए रात्रिकालीन सत्र में मुख्य मुनि श्री महावीर कुमार जी के श्रीमुख से जैन रामायण का श्रवण कर प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु लाभान्वित हुए। इस चातुर्मासिक प्रवास के दौरान प्रतिदिन नियमित रूप से प्रातः में मंगल पाठ, पूज्य गुरुदेव के गोचरी आदि की सम्पन्नता से लेकर रात्रि तक के निर्धारित समयसीमा तक की दिनचर्या में दर्शन-सेवा, संघ विकास-उत्थान, धर्म संघ से जुड़ी संस्थाओं आदि की विभिन्न गतिविधियों पर चर्चा, मन्त्रणा, रात्रि में एक निश्चित समय सीमा तक चरण स्पर्श के दौरान श्रद्धालुओं का सैलाब सा उमड़ पड़ता था। देश-विदेश से समय-समय पर सूरत पहुंचने वाले विभिन्न संघो के श्रद्धालुओं को दर्शन-सेवा कराने व धर्म चर्चा आदि से गुरुदेव प्रायः व्यस्त नजर आते थे। सम्पूर्ण चातुर्मास के दौरान महावीर समवसरण श्रद्धालुओं से कभी खचाखच तो कभी औसत भरा नजर आता था। प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं का चहुं और व सर्वाधिक संख्या में सामायिक मुद्रा में आसीन रहना व समवसरण में स्वत: अनुशासन तथा पिन ड्रॉप साइलेंट का वातावरण हर किसी के लिए प्रेरक व अनुकरणीय बना था व देश-विदेश में सूरत में सामयिक आराधना व स्वत: अनुशासन के उदाहरण दिए जाने लगे। धर्म-अध्यात्म व जप-तप की दृष्टि से ये चातुर्मास पूज्य प्रवर की अनुकम्पा से अद्वितीय रहा ही है। लेकिन व्यवस्थागत दृष्टि से इस चातुर्मास को पूरे देश के तेरापन्थ धर्मसंघ से जुड़े श्रावक-श्राविका समाज ने व अन्य धर्म-सम्प्रदायों से जुड़े श्रद्धालुओं ने ऐतिहासिक व श्रेष्ठ बताया है जो कि सम्पूर्ण सूरत वासियों के लिए गौरव का विषय है। निश्चित रूप से सहज, सरल, मिलनसार व विनम्र स्वभाव के धनी श्री संजय जी सुराणा के सधे नेतृत्व में आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति की सम्पूर्ण टीम इस उपलब्धि हेतु बधाई की पात्र है। श्रद्धालुओं की भरपूर उपस्थिति से पिछले चार माह से गुलज़ार रहने वाला ये समूचा संयम विहार अब सुनसान सा नज़र आएगा। पिछले चार महीनों से हर सुबह 6 बजे मंगल पाठ के दौरान व 9,00 बजे लगभग प्रातःकालीन प्रवचन हेतु तथा रात्रि में जैन रामायण के श्रवण हेतु सैकड़ों- हजारों श्रद्धालुओं का गंतव्य महा श्रमण समवसरण, महावीर समवसरण, संयम विहार की और ही रहता आया है लेकिन अब ये सब दिव्य स्मृतियां मानस पटल पर सँजोई सी रहेगी। सूरत वासी व अन्य शहरों से समागत श्रद्धालु फिलहाल 15 दिनों तक की एक लघु अवधि का पूज्य गुरुदेव का सान्निध्य पांडेसरा, भेस्तान, पर्वत पाटिया, सूरत तेरापंथ भवन आदि विभिन्न उपनगरों में पा सकेंगे व ज्योतिचरण के दर्शन-सेवा से लाभान्वित हो पाएंगे। पूज्य गुरुदेव ! समस्त सूरत वासी आपके अगले सूरत चातुर्मास की घोषणा हेतु आतुर व प्रतीक्षारत है। पूज्य गुरुदेव गुजरात की आर्थिक राजधानी तथा सिल्क एंव डायमंड सिटी सूरत महज एक महानगर ही नही है, देश के प्रथम क्रम की श्रंखला में समाहित इस स्वच्छ शहर सूरत में महज एक सूरत ही समाया हुआ नही है, बल्कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली, कर्नाटका, तमिलनाडु, आंध्रा, तेलंगाना, उड़ीसा, बंगाल, आसाम आदि पूर्वोत्तर के लाखों-लाखों नागरिक अपनी आजीविका के अर्जन हेतु इस शहर में निवासरत है। तथा हजारों-हजारों श्रद्धालु इन प्रदेशों के इस महानगर को अपनी कर्म स्थली के रूप में अपनाएं हुए हैं, अतः इस सूरत में अगिनित ‘सूरत’ समाए हुए हैं। अतः इस शहर में रचे-बसे श्रद्धालु आगामी एक दशक, और हो सके तो वर्ष 2031 की अवधि तक आगामी एक और चातुर्मास की आप श्री के सद सान्निध्य में अपेक्षा करते हैं और ये चातुर्मास उस नव रूप में आकार ले सकने वाले संभवित तेरापन्थ नगर में आयोजित हो सकता है, जो आपके मुखारविंद से चातुर्मास की घोषणा पश्चात आकार ले पा सकता है। ऐसी मंगल कामना इस महानगर के समर्पित श्रद्धालुओं की है। पुनः आप श्री के चरणों मे कर्त्तज्ञता पूर्वक वंदन, अभिवंदन, आपका विहार सूखे-समाधे पूर्वक हो यही अपेक्षा…..*
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*भावाभिव्यक्ति, पूर्ण श्रद्धा भाव सहित…..*
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*गणपत भंसाली*
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